________________ 124 स्त्रीचरित्र. इश्करोगको क्या करें बे गरीब निरधार॥३॥ इश्करोगकी औषधी प्यारेहीके नैन। जासौंजाकी लगन है ताही देखे चैन // 4 // इश्कतीरके घावका जतन न जानै कोय॥ 'जाको दुख वोही लखै, जेहितनलागीहोय सुन्दरी चरित्र 1, - पूर्वसमय चम्पावती नाम नगरीमें विद्याभूषण नामक राजा राज्य करताथा. वह राजा सर्व गुणोपेत, प्रजावसल, यथार्थरीतिसे प्रजाका पालन करनेवाला था. प्रजाकी तादृश अवस्था देखे बिना उसका उचित पालन नहीं होसकता. जब कि प्रजा पुत्रवत है और उसका पालन पुत्रके तुल्यही करना राजाका धर्म है, तो धर्मज्ञ महीपाल स्वयं उनका निरीक्षण किये बिना क्योंकर तदनुरूप व्यवहार करसकताहै, यही निश्चय करके कि जब सर्व शक्तिमान् जगदीश्वरने मुझको पृथिवी पोषणकी क्षमता दीहै, तो केवल निम्न कर्मचारियों के भरोसेही * P.P.AC. Gupratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust