________________ भाषाटीकासहित. 121 काटकर फेंक दूंगा यह सुनतेही महदेईने दोनों तालियां . अपने पतिके आगे फेंकदी. ज्योंही ताली लेकर सौदागरने कोठरीके तालेमें ताली लगाई, त्योंही महदेई ताली बजाने लगी, ओर खिलखिलाकर हंसपडी, और बोली मैं तो जानतीथी, कि मर्द बडे अक्लमन्द होते हैं, लेकिन आजसे जान गई कि, मद में कुछ अक्ल नहीं होती. यह - न समझ कि, मैं ऐसा काम करती तो क्योंकर * दूसरेसे कह सकतीथी ? मैंने आपकी परीक्षा लीथो, कि देखें आप क्या कहोगे, इसी अक्लसे विदेशमें आप सौदागरी करतेहैं, और जैसे आप हैं. वैसेही दूसरेको समझते हैं. इससे तो मुझको यही जान पडता है, कि आप विदेशमें परस्त्री रमण करते हैं, इसीसे महीनों घरपर नहीं आते, बस अब मैंने जान लिया कि तुम बडे पापी हो, * नहीं तो मेरी बातका निश्चय कभी न करते. महदेईकी बातें सुनकर साहूकार लजित होगया, और दोनों ताली लौटाकर कहने लगा, कि प्यारी ! क्रोध मत करो, मैंने तुम्हारी बात सचमानी. मेरा अपराध क्षमा करो, महदे. .P.AC.Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradbak Trust