________________ भाषाटीकासहित. 119 लगी, इतनेमें तुम आगये तब हमने उस पंडितको इसस सन्दूकमें बन्द कर दिया है, जो तुमको निश्चय न हो तो लो तालीसे ताला खोलकर देखलो. पंडितजी सन्दूकके भीतर बैठे महदेईकी बातें सुन रहेथे सो थरथर काँपने लगे, कि आज इस स्त्रीके जालमें हम आकर फंसगये... इतने बड़े पंडित होकर आज हम गोता खागये, दूसरे को शिक्षा देते हम इस स्त्रीके आलमें फँसे. पंडितजी इसीप्रकार सोच विचार कर रहेथे. ज्योंही, महदेईके यारने ताली लेकर ताला खोलना चाहा, त्योंही महदेई ठटा मारकर हंसने लगी और बोली कि मर्दोके बराबर कोई नादान नहीं होता, देखो इस मेरे यारने यह न सोचा कि जो मैं ऐसा काम करती तो क्योंकर किसीके सामने कहती. उसकी यह बात सुनकर ताली डालदी और महदेई. से लजित होकर कहने लगा, प्यारी ! तुम बडी चतुर हो, जो हमकोभी धोखा देती हो. यह कहकर प्रेमकी बातें करने लगा. उसी समय महर्देईका पति परदेशसे आगया. आहट पाय महदेईने अपने यारको कोठरीमें P.P.AC.Gunratnasuri, Jun Gun Aaradhak Trust