________________ 27 117 4 हैं, भाषाटीकासहित महदेई चरित्र एक सौदागरकी स्त्रीका नाम महदेई था. वह बडी चालाक और चंचल थी. उसका पति सौदागरकी करने के लिये विदेश जाकर महीनोंके महीनों अपने घर नहीं आया करता था, और अपनी स्त्रीके पास एक दासीको रखदियाथा. वह दासी महदेईकी आज्ञामें रहकर सदा उ. 'सकी टहल किया करतीथी. महदेईका मकान बाजारमें था नीचेके दरजेमें किरायेपर दुकानदार बैठता था. महदेईका यह नियम था, कि जिस समय खाने पीनेसे निश्चिन्त होती तब शंगार करके बाजार ओर जो खिड़की थी उसमें आ बैठती, और अपने क्ष बाणोंसे अनेकों मनुष्योंको घायाल करती थी. दिन एक पंडित शिरपर पगडी बांधे, जामापहरे, कन्धेपर दुपट्टा डाले, बगलमें पत्रा दाबे, हाथमें एक बहुत बडी पोथी लिये महदे इके सामनेवाली दूकानमें बैठा हुआ, अपनी पोथी - खोलकर पढने लगा. महदेईने कान लगाकर सुना ... P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust