________________ - स्त्रीचरित्र. में कुछ देरतक आनन्द रही, फिर वह अपने घर - लौट आई, रात होनेपर फिर वहीं पहुंची, साहूकार जा; देने अपने मनमें कहा कि अच्छी चिडिया हमारे हाथ आई, कि अनायास आपही समयपर आ जाती है. एक दिन साहूकारजादेने तम्बोलिसे कहा कि प्यारी ! हमारेपास आनेमें तुमको बड़ा क्लेश जान पडता होगा. क्योंकि उतनी दूरसे अकेली रातमें आती हो, यह सुन तम्बोलिनिने कहा कि प्यारे ! प्रेमका पंथही निराला है, इस पंथमें न कांटा है, न कंकर, न लाज है, न शरम है, न किसीका डर है. जिससमय मेरे शरीरमें आग उठ तीहै और आपकी याद आती, उस समय आपकेपास बेखटके चली आती हूं मेरे शरीरसे प्रगट हुई आगको बुझानेके लिये आपकेपास बहुत अच्छा आला है. जिससमय वह अपना आला निकालकर आप मेरे शरीरपर फेंकते हैं उसीसमय आग बुझ जाती है और मेरा मन शान्त होजाता है. अधिक क्या कहूं, रात दिन आपकी मोहनीमूर्ति मेरे मनमें बसी रहती है, कभी भूलती P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak frust.