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________________ 9.108 स्त्रीचरित्र. परको उठी, तब तम्बोलिन हाथ जोड़कर अपने = मकानमें बुलाया. उसने कहा, तुम कौनहो ? जो बिना - पहिचाने हमको अपने घर बुला रही हो. तम्बोंलिन बोली, आपकी नई तवेली प्यारी हूं इसी समय तुमको देखकर मोहित हुईहूं. मेरा पति पर देशको चलागया है और घर अकेला है. आप -- कीसी बातकी चिन्ता न कीजिये, बेखटके मेरे घर चले आइये. इतनी बात सुनतेही साहूकार जादा मनमें सोचने लगा, कि यह औरत अभी थोडी - आशक होकर बुला रही है, तो हम क्यों न इसकेपास जाकर इसकी इच्छा पूरी करें. हमको ईश्वरने रूप दिया है और मर्द बनाया है, इसका यही फल है. कि किसीके काम आवै. जो हम इस समय इसका मन दुखी करेंगे तो हमको पाप होगा. परंतु हम भले मानस हैं, किसीके घरपर जाना और छिपकर ऐसा काम करना उचित नहीं. आज चलकर घंटे दो घंटेभर बिहार करलूं, फिर देखा P. Ac Gunratnasuri.M.S, Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036492
Book TitleStree Charitra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarayandas Mishr
PublisherHariprasad Bhagirath
Publication Year1920
Total Pages205
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size158 MB
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