________________ स्कदका चरित्रं // 8 // 2 बालमप्यमुचद्यो न, दुरात्मायं स कीदृशः // इति कोपात्परीणामः, सूरेस्तस्याऽशुभोऽजनि // 72 // पीड्यमानस्ततश्चक्रे, निदानं बहुकोपतः // सदेशभूपपूलोंक पालकज्वालनाय सः // 73 // दुःकर्मण्यत्र संजाय-माने प्रातरभूद् भृशं // सूर्येणाऽप्रभुणैवैतद्, दृष्टुमभ्रावृतिर्दधे // 74 // सर्वा अपि दिशो जाता, रजोभिः कलुषा भृशं ॥बभ्रमुः पिशिताहाराः, खेच सर्वे विहंगमाः // 75 // गुरोर्धर्मध्वजं तेषा-मेका शकुनिका भुवि // पतितं नृकरभ्रांत्या, ललो रक्ताक्तमादरात् // 76 // समुत्पतंती सा भूप-प्रेयसीमंदिरोपरि // आगाद्यावन्मुखात्ताव-द गुरोधर्मध्वजोऽपतत् // 77 // तस्याः पुरत एव प्रा-गुद्विग्नमनसः स तु // वज्रवन्न्यपतत् पाणौ, तया स द्रुतमाददे // 78 // सा प्राहायं कुतो धर्म-ध्वजो बंधोः समागतः // मद्दत्तेनैव सद्रत्न-कंबलेनास्ति वेष्टितः // 79 // al लोहितेनैष लिप्तः किं, दिवोऽत्र पतितः कथं // मार्गयतेस्म सा शुद्धिं, ततः सूरेः समंततः // 8 // तस्याश्रौषीदियं प्रेष्य-मुखातूर्णमुपद्रवं // कुट्टयंती निजं वक्षो, मूछौं सागाच्च दुःखतः // 81 // 2 मूर्छाया विगमे, भूमी-तले विलुठतिस्म सा // रुदंती निःश्वसंती च, सगद्गदमवग् नृपं // 82 // PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust