________________ चरित्रं // 7 // | सत्क्षत्रवंशजा यूयं, हंहो धीरास्तपोधनाः // कुरुष्वमय यूयं तु, युद्धं भावारिभिः सह // 61 // तत्क्षमध्वं कृतां घोर-वेदनाममुना भृशं // संख्यातोता यतः सोढा, वेदना नारके भवे // 62 // मुहूर्तमात्रजैः कष्टै-रय॑तामय॑तामहो // अनंतसुखसंपत्ति-मयो मुक्तिरनुत्तरा // 63 // गुरोः सम्यगिमा शिक्षा, श्रुत्वाधिकमनोबलाः॥सोढुं तां वेदनां यंत्र-पोडोत्यां मुनयोऽभवन्. // 64 // आरूढाः क्षपकश्रेणिं, निःश्रेणिं मुक्तिवेश्मनः॥ते सऽप्यभवन्नंत-कृतकेवलिनस्तदा // 65 // एवमेषु मुनींद्रेषु, सिद्धि प्राप्तेषु भावतः // एकः क्षुल्लस्तथा सूरिः, संप्राप्ताववशेषतां // 66 / / यंत्रे क्षुल्लमपि क्षेप्तुं, ततो लाति पुरोहिते // सूरिरूचे क्षुल्लमोहा-क्रांतस्तं च पुरोहितं // 67 // कि ग्रहाण क्षुल्लमेनं त्वं, पश्चात्प्राग्मां निपीड्य च // प्रभवामीक्षितुं दृष्टया, नाहमस्य हि वेदनां // 68 // बालोऽयं घात्यमानोऽस्य, पुरो दुःखकरो भवेत् // कामं पुरोधास्तं पूर्व, यंत्रे क्षुल्लमपीडयत् // 69 // क्षमायुक्तः स धैर्येण, क्षिप्तकर्मा लघुर्मुनिः // केवलज्ञानमासाद्य, निर्वाणं प्राप तत्क्षणात् // 70 // सिद्धार्थाः पीडिता लोके, खलरूपा भवंत्यहो॥पीडितास्ते तु सिद्धार्था-श्चित्रं जजुर्महोत्तमाः // 71 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust asun