________________ श्रीपाल-11 करनेसे 'नैषेधिक' नामका दोष लगता है, अतः तुम शान्तिपूर्वक चैत्यवंदन कर बाहार आवो / प्रस्ताव चरित्र वहांपर सर्व हाल निवेदन करूंगी; इतने में कुमारकी माता बोली-हे सम्बंधिनी! तुमारी पुत्री है // 23 // महा सती है, दैव योगसे सूर्य पश्चिममें उगने लगे, समुद्र मर्यादा लोप करदे तो भी तुमारी है। कुक्षिसे उत्पन्न हुश् कुमारिका धर्मसे कदापि चलायमान नहीं हो सकती. . ये सुखशब्द सुन कर रूपसुन्दरी सहर्ष चैत्यवंदन कर जिन मंन्दिर के बाहार आई, इधर है। वे तीनों जने भी बाहार आये तब कुमारकी माता कमलप्रभाने अपने मकानपर आनेका उसे है |आग्रहपूर्वक आमन्त्रण किया, ये सब लोग मिलकर उम्बर राणाके मुकाम पर गये-कुमारकी मा-1 | ताने मदनाकी माताको श्रीसिझचक्र महाराजके प्रभावका सब स्वरूप कहा, सुनकर रूपसुन्दरी | बड़ी हर्षित हुई और कहने लगी हे सम्बंधिनी! अब कुमारका वंशादि स्वरूप सुननेकी मेरी बड़ी अभिलाषा है, कृपाकर सुनाओ-तब कमला बोली प्रिय सम्बंधिनी ! ध्यानपूर्वक सुनोः ROSSARIESECU ASIC Jun Gun Aaradhak Ac.Gunratnasuri M.S. .'