________________ श्रीपाल- ACAAAAAAAAM द्रव्य सात क्षेत्रों में ( साधु-साध्वी-श्रावक-श्राविका-जिनमंदिर-जिनप्रतिमा-ज्ञान ) पुष्कल द्र. व्य व्यय किया और सब लोग नवपद महाराजकी स्तवनामें इस प्रकार लयलीन हुवेः___मदनाके साथ श्रीपाल नरेन्द्र प्रथम अईत् पदकी स्तुति करने लगेः-चौतीस अतिशय || | विराजमान, पेंसि गुणवाणी सुशोभित, स्याहादधर्म प्ररूपक, महागोप, महानिर्यामक ,महा-|| सार्थवाह, जगद्गुरु श्रीअर्हत् परमात्माको अन्तर आत्मासे अनिवंदन करता हूँ; इस तरह पहिले. पदके गुणग्राम करते हुवे अपना समय शान्तिपूर्वक गमन करने लगे-दूसरे सिद्धपदकी स्तवना करने लगे-पूर्व प्रयोगके ज़रिये, संयोगके त्यागधारा, बंधन छेदन करके, स्वनावसे असंख्यात | योजन दूर सिझसिलाके ऊपर जोजनके चौवीसवें जागमें सिझस्थानको मात्र एक समयमें प्राप्त // 91 // किया है जिसने, ऐसे सिद्ध भगवान्को मैं नमन करता हूँ; इस तरह समय व्यतीत करते हैं. AIRIAIPAISHIRICI Ac.Gunratriasuri M.S.. Jun Gun Aaradha