________________ // 6 // RAA%%% श्रीपाल 8 नामका एक पुत्र था, वह कुमार किसी एक वख्त प्रजापाल भूपाल की सेवा के लिये आया हुवा था. प्रस्ताव चरित्र. पहिला. एक वख्तका जिक्र है कि यह कुमार राज सभामें बैठा हुवा था उस समय वहां पर सुर5 सुन्दरी भी बैठी हुई थी, इन दोनोके परस्पर स्नेह चक्षुओंसे प्रेमभाव हो गया, यह बात रा-5 || जाको मालुम हो गई तब अपनी कन्याको पूछाः-हे पुत्री! तेरे लिये कौन वर करदूं? तब सुर- 18 || सुन्दरीने उत्तर दिया हे तात! मेरे मनमें वशा दुवा अरिदमन कुमार है ऐसा आप श्रीमान् | जान ही चुके हैं अतः मेरा अभिप्राय तो यही है, आगे जैसी आपकी इच्छा हो वह मुझे प्रमाण || हैं, क्यों कि आप मेरे पिता हैं, आपही पालक-पोषक है और आपही मेरे ईश्वर है इत्यादि वचः 15/ नोसे राजाको आनन्दित करके.कुमारिका मौन रही. Mai. राजाने उन दोनोका परस्पर सम्बक (सगाई) करदिया, इस वख्त सबलोगोंमें यह बात / जाहिर होगई और प्रजाजन यह बात करने लगे कि यहां पर बड़ा भारी उत्सव होगा, सौ. ASSISTARIQLAM**AXI ** ** Ac Gunratnasur M.S. Jun Gun Aaradis