________________ श्रीपाल- | 31 कराकर आत्मधर्मको उपलब्ध करानेवाला तप पद जी तत भूत है; इस प्रकार ये तमाम पद परिष. | सर्वोत्कृष्ट तत्व हैं और अपूर्व फलको देनेवाले हैं. अतः भव्यात्माओंको इन्हे जानना चाहिये | और ध्याना चाहिये, इत्यादि धर्म देशना देकर मुनिवर महात्मा विरमित हुवे. . प्रस्ताव चौथा. // 81 // RECARE .. श्रीपाल नरेन्द्रका पूर्वनव.. 34-OTESSENSESS165654 __ध्यानपूर्वक धर्म देशना सुननेके पश्चात् महासजश्री श्रीपाल कुमारने विनयपूर्वक मुनीश्वME रको प्रार्थना की:-हे मुनीश ! किस कर्मके उदयसे बालपनेमे ही मुझे दुष्ट-कुष्ट रोगने घेर लिया M और किस शुज कर्मके प्रतापसे रोग शमन हो गया.? हे नाथ ! किस सत्कर्मके संयोगसे स्थान 2 पर मुझे विपुल ऋद्धि मिली और किस कसके कारण मैं सागरमें गिरपड़ा ? हे प्रनो ! किस 1 // VIRAc. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aarad