________________ - अब सब योका लोग जिराबखतर (कवच) पहन 2 कर रण-नूमिमें आ धसे, श्रीपालजीके || || और अजितसेनके उद्भट सुभट लोग अपने 2 स्वामीका नाम उच्चार करके आपुसमें भिड़ पड़े-|| -खड़वालोंसे खड्वाले, बाणवालोंसे बाणवाले, बरछीवालोंसे बरछीवाले, दण्डवालोंसे दण्डवाले, भालेवालोंसे भालेवाले और इसही तरह यथा-तथा शस्त्रवाले एक दूसरे पर इस प्रकार टूट पड़े || || कि मानो एकाकार हो गये; इस महायुद्धमें कितनेक सिपाहियोंके शिर कबीटके फलकी तरह है | पृथ्वीतलपर तड़ा तड़ गिरने लगे, कितनेक वीरोंके शिर समसेरके सपाटेसे ऊंचे उछल कर राहु18|| वत् सूर्यको शंकित करने लगे, कितनेककी धड़ झूझने लगी, कितनेक जीव लेलेकर भगने लगे, 5|| इस महायुद्धमें रजके गोटे इस प्रकार आकाशमें चढने लगे कि जिससे सूर्य ढक गया; हाथीहूँ घोड़े-रथ-पेदल दड़ा दड़ भूमिपट पर गिरने लगे; इस घोर संग्रामके होनेसे लोहुकी नदी वहने || // लगी, इस रुधिर नदिमें सुभटोंके शिर मच्छके समान जाते हुवे मालुम होते हैं, उनके केंश से| वालके सदृश ज्ञात होते हैं, चारों ओर मृतक जनोंके चरबीका कीच मच गया; धन धनाइट Jun Gun Aaradha XLAC.GunratnasuriM.S.