________________ प्रस्ताव चरित्र श्रीपाल-5 मजबूत डोरी बांधी और गोको सातवें मालपर पहुँचाई उसने वहां जाकर अपने पेर मजबूतीसे || स्थिर किये, तब डोरीको चोकसकर धवल रौद्र-ध्यानको धारण करता हुवा हाथमें तीक्षण तल तीसरा. 8 // 56 // वार लेकर श्रीपालजीको मारनेके लिये ऊपर चड़ने लगा, कुंवरके प्रबल पुण्य प्रतापसे तथा ब| लवत्तर आयुष्यके कारण आधे मार्गमें डोरी एकदम तड़ाकसी टूट पडी जिससे धवल शिरके बल | जमीनपर आगिरा, इस वख्त उसकी खड्ग उसहीके पेटमें लगी, महा वेदना वेदकर अन्ते कृष्ण || | लेश्या (काले परिणाम ) से मरकर सातमी नरकमें गया, सच है! " अत्युग्रपुण्यपापाना-मिहैव फलमश्नुते" यानी अतिउग्र पुण्यात्माओं तथा पापात्माओंको सही भवमें फल मिल जाता है, पापका || घड़ा अन्तिममें फूटे विना नहीं रहता यह कहावत यहांपर चरितार्थ हुई जब सुबह हुवा तो हज़ारों है। लोग इकट्ठे हो गये, आस-पासके सब संजोगोको देखकर सर्व लोग कहने लगे कि यह कुंवरको | अवश्य मारनेके लिये आया था, सब लोग कुमारका यशः गाने लगे और धवलकी निन्दा क HLASILIS-ENGLIS // 56 // HIRIKthes P AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak