SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 395
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीशान्तिनाथ चरित्र / nonnnnnnnnnnnnnnnnnn ....aamanmaranamamaramnonww nn mmmmmmaaaa... बाँध दिया और कहा, कि इसे मैं ही आकर खोलूगा। यह कह र कहाँ चले गये, इसकी मुझे ख़बर नहीं है।" यह सुन, तीनों भाइयोंने अपने मनमें विचार किया,-"शायद माताने भोजनादिमें यहूका कुछ निरादर किया है, इसीसे वह इसे अपमा ही अपमान समझकर परदेश चला गया है। कहा भी हैं, कि अपमानसे तिरस्कार पाये हुए मानी पुरुष माता, पिता, बन्धु, धन, धान्य, गृह और स्त्री सबको दूरसे ही त्याग देते हैं। माता-पिता और स्वामीके किये हुए अपमानसे भी मान-रूप धनसे धनिक पुरुष देश छोड़ देते हैं। गुरु जो शिष्यका अपमान करता है, वह शिष्यके लिये हितकारक होता है; क्योंकि गुरु वारण और स्मरण आदिके द्वारा शिष्यकीतर्जनाको सना कर देता है। फिर उसकी स्त्रीका अपमान, उसकाही अपमान क्योंकि शरीरकी पीड़ासे क्या जीवको पीड़ा नहीं होती ? ज़रूर है।" ऐसा विचार कर, वे सब उसकी खोज करने पर भी उस समाचार न पाकर उसके विरहसे दुःखित होते हुए भी अपने-अपनी काममें लग गये। इधर शूरपाल,अपने घरसे बाहर हो क्रमशः महाशाल नामक नगरमें आ पहुंचा। वहाँ पहुँच कर, थका-माँदा होनेके कारण वह नगरके बाहर एक उद्यानमें एक जम्बूवृक्षकी छायामें सो रहा:. उसे गाढ़ी नींद आ गयी ; पर उसके पुण्यके प्रभावसे उस वृक्षकी छाया मध्याह्न हो जाने / भी उसके ऊपरसे नहीं हटी। इसी समय उस नगरका राजा पुत्रह अवस्थामें ही मृत्युको प्राप्त हुआ। तब प्रधान पुरुषोंने पञ्चदिव्य प्र किथे, जो दो पहर तक सारी वस्तीमें घूम-फिरकर अन्तमें नगरके बारवहाँ पहुँचे,जहाँ शूरपाल सोया हुआ था / शूरपालको देखते ही हाथियों गर्जन किया, घोड़े.हिनहिनाने लगे, उस पर आपसे आप छत्र तन गया, कलशने स्वयं उसपर अभिषेक किया और चंवर आपसे आप ढुलने लगे। उसे देखते ही जय-जय और मङ्गल-गीतका शब्द होने लगा। उस समय मन्त्री और सामन्तोंने उसके सब अंगोंकी परीक्षा की, तो उसके हाथ P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy