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________________ . . षष्ठ प्रस्ताव। / 283 * देवता भो प्रभु के वराव तो हुए ओर खण्डनाता नामक गुफाका द्वार आप से आप खुल गया / उसके अधिनायक कृतमाल नामक देवने आप-से-आप प्रभु की आज्ञा स्वीकार करली। उस गुफ में उन्मग्ना और निमग्ना नामकी दो अति दुस्तर नदियां हैं। उनके पार जानेके लिये मिस्त्रियोंने तत्काल उनपर पुल बंधवाये, जिनके सहारे प्रभु सारी सेनाके साथ उस गुफाके अन्दर चले गये। वहाँका अन्धकार दूर करनेके लिये, उस पचास योजन लम्बी गुफाकी दोनों तरफ़ उनचास मण्डल कांकि. णीरत्नके बनाये गये / तब प्रभु उसके बाहर निकले। वहाँ भरतचक्रीके समान प्रभुने तत्काल अपने बड़े पुण्योंके प्रतापले आपात-चिलात नामक सोच्छों को अपने वशमें किया। इसके बाद सेनापतिके द्वारा सिन्धुके दूसरे पारका देश जीतकर, स्वामीने हिमाद्रिकुमार देवको वशमें किया। इसके अनन्तर वृषभ-कूट के पास जा, चक्रीने कांकिणीरत्नसे अपना नाम लिग्ला / तदनन्तर गङ्गानदीके उत्तर प्रदेश सेनापति द्वारा अपने अधीन कर, * उन्होंने तमिस्रा गुफाके नाट्यमाल देवको पशवी बनाया और उसी गुफाकी राहसे बाहर निकल कर गङ्गादेवीको शासित कर, उन्हींके किनारे अपनी सेनाका पड़ाव डाल दिया। . .... ___ गङ्गानदीके किनारे रहनेवाले, बारह योजन लम्बे और नौ योजन चौड़े सन्दूकके अकारवाले नौ निधानोंको स्वामोने अपने पुण्य-प्रतापसे वशीभूत कर लिया / उन नवोंके नाम इस प्रकार है:-१नैसर्ग, 2 पाण्डुकर, 3 पिङ्गल, 4 सर्वरत्नक, 5 महापा, 6 काल, 7 महाकाल, 8 मालप, और शंखक / इन नवों निधियोंमें क्या क्या होता है, अब वह भी बत.. लाये देते हैं-पहले निधानमें स्कन्धावार और नगरके निवेशका समुदाय होता है। दूसरेमें सब प्रकारके अनाजोंके बीजकी उत्पत्ति होती है। तीसरे में पुरुषों, स्त्रियों, हाथियों और अश्वोंके अलङ्कारोंका समुदाय होता है / चौथेमें चौदहों रत्न उत्पन्न होते हैं। पांचवेंमें वस्त्रों तथा सब तरहके .वों (रंगों) की उत्पति होती है / छठी कालनिधिमें तीनोंकाल-भूत, भविष्यत्, वर्तमानका ज्ञान होता है / सातवीं महाकालनिधिमें सोमा, " समुदाय Jun Gun Aaradhak Trust. P.P.AC.Gunratnasuri M.S.
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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