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________________ PC पाँचवाँ प्रस्ताव। इसी जम्बूद्वीपके पूर्व, महाविदेह-क्षेत्रमें, पुष्कलावती नामक विजय में, पुण्डरीकिणी नामकी नगरी है / उसमें नीति, कीर्ति और जयलक्ष्मीके मन्दिर-स्वरूप घनरथ नामके तीर्थङ्कर राजा रहते थे। उनके दो स्त्रियाँ थीं। पहलीका नाम प्रीतिमती और दूसरीका नाम मनोहरी था। नवें वेयकमें रहनेवाला वज्रायुधका जीव, इकतीस सागरोपमका आयुष्य पूर्ण कर, वहाँसे च्युत हो, उनकी पहली रानी प्रीतिमतीकी कोखमें आया। उस समय उसकी माताने मेघका स्वप्न देखा / सहस्रायुधका जीव भी वहाँसे च्युत हो, दूसरी रानीकी कोखमें आया / उस समय रानीने भी रथका स्वप्न देखा / क्रमसे समय पूरा होने पर दोनों रानियोंके गर्भसे शुभलक्षणयुक्त पुत्र उत्पन्न हुए / क्रमसे उनके नाम मेघरथ और दृढ़रथ रखे गये। दोनों राजकुमार शैशवावस्थाको पार कर, अपनी विनय शीलता और बुद्धिमत्ताके प्रभावसे कलाचार्य के निकट बहत्तर कलाओंकी शिक्षा प्राप्त की। सय कलाएँ सीखने पर वे दोनों राजकुमार युवावस्थाको प्राप्त हुए और अपनी सुन्दरताके आगे कामदेवको भी नीचा दिखाने लगे। इसी समय सुमन्दिर नामक नगरके स्वामी, राजा निहतारिकी प्रियमित्रा और मनोरमा नामकी दो पुत्रियोंसे मेघरथका व्या हुआ और उन्हीं निहतारिराजाकी छोटी लड़की सुमति, कूमार दूढ़रथको व्याही गयी। मेघरथकी स्त्रियों-प्रियमित्रा और मनोरमाके नन्दिषेण और मेघसेन नामक दो पुत्र हुए P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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