SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तृतीय प्रस्ताव / 107 हुए पर्वका दिन आ पहुँचा। उस दिन यक्षने आकर पूछा,-"बोलो, मैं किसकी रक्षा करूँ ? किसे आपत्तिसे बचाएं?" इतनेमें उन दोनोंने .... झटपट कहा,- "हे यक्षराज! हमें दुःख-सागरमें डूबनेसे बचाओ / " यह सुन, शैलकने कहा,- "मैं तुम्हें दुःखसे जरूर उवासँगा पर तुम सावधान होकर मेरी एक बात सुनो / मैं जब तुम्हें यहाँसे ले चलूंगा, तब वह देवी भी तुम्हारे पीछे-पीछे आयेगी और मीठे-मीठे वचन सुनायेगी। उस समय यदि तुम उसकी चिकनी-चुपड़ीबातोंसे मनमें पसीज उठोगे, तो वह जरूर ही तुम्हें उठाकर समुद्र में फेंक देगी और यदि उसकी ज़रा भी परवा न किये हुए, राग-रहित होकर मेरे पीछे-पीछे चलते रहोगे, तो मैं तुम्हें निश्चय हो निर्विघ्न चम्पानगरीमें पहुँचा दूंगा और क्या कहूँ ? यदि वह देवी आये, तो तुम उसके साथ चार आँखे भी न करना। वह डराने-धमकानेके लिये कुछ भी कहे, तो उसे सुन कर डरना नहीं। यदि तुम ऐसा करनेमें समर्थ हो सको, तो आओ, अभी मेरी पीठ पर सवार हो जाओ।" ___यक्षकी इस बातको दोनों भाइयोंने स्वीकार कर लिया / इसके बाद वे दोनों उस अश्वरूपी यक्षकी पीठपर सवार हो गये / वह अश्वरूपी यक्ष उन्हें समुद्रके ऊपर-ही-ऊपर आकाशमें ले उड़ा। ..... - इधर देवी अपने हाथका काम पूरा कर अपने स्थानपर आयी और .. अपने मन्दिर में उन दोनोंको न देखकर उपर्युक्त सब वनोंमें उन्हें ढूँढ़ने लगी ; पर वे कहीं नहीं दिखाई दिये। इसके बाद अपने ज्ञानसे यह मालूम कर, कि वे चम्पापुरीकी ओर चले जा रहे हैं, वह क्रोधके साथ खंङ्ग हाथमें लिये दौड़ पड़ी। जब वह दौड़ते-दौड़ते उन लोगोंके पास पहुँच गयी, तब उन्हें घोड़ेकी पीठपर चढ़कर जाते देख, बोली,"अरे ! तुम लोग क्यों मुझे इस तरह छोड़कर भागे जा रहे हो? अगर सुम्हें जानेकी इच्छा ही हो, तो मेरे साथ चलो, नहीं तो मैं इसी खडसे तुम्हारे सिर उतार लूंगी।" देवीकी यह बात सुन, यक्षने उन दोनोंसे कहा,.. "जब तक.तुम दोनों मेरी पीठपर हों, तब तक. तुम्हें कोई भय P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy