________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित -ALL श RaIHAR /-BKCLES पत्नी को स्तनपान कराते हुए अच्छी तरह देखा. राजाने जाते समय अंचल को पकड लिया, और अपनी उस पत्नी के साथ शय्या ( राज और रुक्मिणी चित्र नं. 57 ) पर लेट कर भोग सुख द्वारा आनन्दका अनुभव करने लगा. तक्षकने जब रात को अपनी पत्नी को न देखा तो अवधिज्ञान के उपयोग से अपनी पत्नी को राजा के स्थान पर है वह जाना. तब वह उसे लेने के लिये वहाँ गया, और अपनी पत्नी के साथ राजा को देख क्रोध के कारण सर्प रूप धारण कर राजा की पीठ में डंक मारा-लेकिन जब वह वापस जा रहा था, तब राजाने उसे दीवार के साथ पछाड कर मार डाला, राजा के शरीर में भी विष व्याप्त हो गया, जिस से वह भी उसी क्षण मर गया, रुक्मिणी अपने दानों पतियों को मरा हुआ देख कर खूब दुःखित हुई. सुबह होते होते सारे नगर में बात फैल गई, सब लोग चकित हो गये. अति दुःखी रुक्मिणी अपने दोनों पतिओं के शरीरे को लेकर काष्टभक्षण करने के लिये स्मशान में गई. उस समय अकस्मात् 'मेवनाद' देवलोक से यहां आ गया. उसने P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust