________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय सयोजित - 529 आया. वह मंत्रीश्वर पांच मुद्राएँ धारण किये हुए मान लो देश का स्वामी, महाराजा का प्रिय, राज्य में सब बातों का कर्ता हर्ता और सभीको छोडने बांधनेवाला था. उस कोची के सामने मोतीसे भरा हुआ सोनेका थाल रख दिया और उसके पैरों पर गिर कर बोला, "हे इच्छित फल को देनेवाली, मुझ पर प्रसन्न होकर अभी ररररररररह 222227222 1-A2 F ना TEC समा मालुसरे एकाएक बुद्धिसागर मत्री का कोची के घर आना. चित्र न. 30 मदनमजरी के साथ मेरा संयोग करवाओ" तब कोची हल-- वाइन बोली, "हे विचक्षण मंत्री! इस सुंदर मोरपीछी-लेखनी को लेकर इस पेटी पर बैठ जाओ, फिर इस मोरपीछी को लेकर इस पेटी के चारों तरफ फिरागें, तो यह पेटी आकाश मार्ग से. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust