________________ 374 विक्रम चरित्र राजा स्वयं अपने ढाल, तलवार सहित कई सेवकों के साथ वरकी रक्षा करने लगे. / * मंडप में सुचारू रूप से विवाह विधि चल रही थी, मंडप में चारो ओर आनंद का वातावरण दिखाई दे रहा था; सब की मुखमुद्रा प्रसन्न थी; धनद् सेठ के स्वजन लोग और सारा परिवार अपार आनंद मना रहा था, उसके बीच में वर के पास में रक्षण के लिये खड़ा रहा हुआ सैनिक की ढाल में एकाएक अचानक वाघ का रूप उत्पन्न हुआ और धनद्कुमार रूप उस वर को क्षण मात्र में मार डाला. - अपने प्यारे पुत्र को मरा हुआ देख धनद् सेठ बेहोश / हो गया, और सेठ का सारा परिवार बहुत दुःखी हो गया, क्षणभर में ही नगरी की जनता में शोक का बादल फैल गया. . यह तो निश्चित है कि अपने पुत्र के मृत्यु पर किसे दुःख नहीं होता, नीति में भी कहा है कि पिता, माता, पुत्र, पुत्री, पत्नी, भाई और मित्र आदि सगे सबंधियों के वियोग से मनुष्य को बहुत दुःख होता है.x महाराजाने शीघ्र :अपने सेवकों के द्वारा सेठ को शीतोपचार आदि प्रयोग से सावधान किये, और सेठ को आश्वासन दे शान्ति पहँचाई, बाद में महाराजाने कहा, " मुझे तो पहले से ही यह मालूम था, क्यों कि, छठीका जागरण के . X पितृ मातृ सुता पुत्र, पनि, वन्धु सु हृत्सताम् / वियोगे जायते दुःख, मानवनां भश हृदि // सं. 10/298 / / .P.P.AC.Gunratnasuri M.S. * Jun Gun Aaradhak Trust