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________________ . 32 शय्या पर बेठकर राजा, मंत्री और मही तीनों उडकर रत्न- पुर जा रहे है ... .... ... ... 154 33 अरिमर्दन राजा और मत्रीश्वरने रूप परिवर्तन कर राजसभा में प्रवेश किया ... ... ... ... 154 34 रत्नपुर की राजकन्या और कन्या रूपधारी अरिमर्दन राजा का परस्पर वार्तालाप हो रहा हैं ... ... ... 156 श्री धर्म घोष-ज्ञानीमुनि की धर्मदेशना और धीर तथा वीरमति के प्रेम के संबंध में राजा का प्रश्न... ... ... 168 36 महातीर्थ श्री शत्रुजय के मार्ग पर प्रयाण और चतुर्विध संघका मनोहर दृश्य ... . .... ... 180 37 तीर्थ यात्रा के लिये गिरिवर पर श्री चतुर्विध संघ अति उत्साहसे चढ रहा है ... . ... 185 38 वि. सा. मे. रा.-राजकुमारके गोदमें बदरका सोना और व्याघ्र 193 39 राजसभा में चारों चोरको पकड मंगवाना और रत्न की पेटीयां चोरों से मंगवानी और एक पेटी कोषाध्यक्ष से मंगवानी आदि वृ-तान्त से राजसभा में विस्मयता फेली ... ... 221 नवम सर्गःमंगलमूर्ति श्री पार्श्वनाथ '40-1 महाराजा की स्वारी घांसीवाडे में ... ... ... 224 11-2 महाराजा का और देवदमनी का चोपाट खेलना ... 229 42-3 क्षेत्रपाल और महाराजा विक्रम... .. 43-4 अग्निवैतालके कांधे पर महाराजा विक्रम का बेठ कर सीकोतरी पर्वत की ओर जाना ... ... .... ... 238 :44-5 इन्द्रकी सभा में देवदमनी का नृत्य . 145-6 महाराजा और राजकुमारी सांढनी पर चले... ... 218 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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