________________ पहला परिच्छेद अपार आनन्द होता था। वे भली-भाँति समझ गये थे, कि इस पुत्रके द्वारा मेरे सब मनोरथ पूरे होंगे और यह मेरे कुलका नाम विशेष उज्ज्वल करेगा। राजकुमार रतिसारको बचपनसे ही धर्मसे बड़ी प्रीति थी। धर्म अथवा नीतिके विरुद्ध कार्य करनेकी उन्हें कभी प्रवृत्ति नहीं होती थी। उनका अलौकिक-सुन्दर रूप और देवदुर्लभ गुणग्राम देखकर सबके मन मुग्ध हो जाते थे। अपने पुत्रके ऐसे निर्दोष आचरण, निर्मल गुण और पवित्र आहारविहार देखकर ही राजाने उन्हें इच्छानुसार धन व्यय करनेकी आज्ञा दे रखी थी। ___एक दिनकी बात है, कि राजकुमार नगरके मध्यमें चक्कर लगा रहे थे। उनको देखनेके लिये सैकड़ों-हज़ारों नेत्र एकही साथ उनपर पड़ रहे थे। बालक, वृद्ध, युवा, स्त्री-सभी उनका वह रमणीय रूप देख, मन-ही-मन मुग्ध हो रहे थे। इसी समय एक चौराहेके पास पहुँच कर कुमारने देखा, कि एक पुरुष हाथमें एक पताका लिये घूम रहा है। उस पताकाके अग्रमागमें एक पॉटलीसी बँधी है। लोग अचम्भेके साथ उस आदमीको देख-देखकर आपसमें कानाफूसी कर रहे हैं। यह देख, कुमारको भी बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने एक परिचित आदमीके पास आकर पूछा,-“हे भाई! यह आदमी कौन है और इस ध्वजाके अग्रभागमें जो पोटली बंधी हुई है, उसमें कौन सी वस्तु है ?" यह सुन, उस आदमीने कहा,-"कुमार P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust