________________ पुण्याढ्य चरित्रं सान्वय भाषान्तर 211 X80300 आन्वयानजिन धाम दूत आधान बद्धारंभाः ते मंत्रिमुख्या: तदा एव तत्र पुण्याहिमगलं पधापयन // 5 // अर्थ:-जिनमंदिस्ना तुरत बांधकाममाटे करेली छे तैयारीओ जेओए, एवा ते मुख्यमंत्रिओए तेज वखते त्या उत्तम मंगलीक करान्यू, (खात मुहूर्त कराव्यु.)॥५२१॥' ... ... .. . . हृदुत्तारितसंसारव्यापारः सारधर्मधीः / अकृताहार एवाष्टौ नृपो निन्ये दिनानि सः // 522 // अन्वयः इद् उत्तारित संसार व्यापार: सारधर्मधीः सः नृपः अकृत आहारः एव अष्टौ दिनानि निन्येः // 522 // अर्थ:-हृदयमाथी पण कहाडी नाखेल छे सांसारिक कार्योर्नु चितवन जेणे, तथा उत्तम प्रकारनी धर्मबुद्धिवाळा ते राजाए peleeISISISTS ततः प्रत्यूषशेषायां रजन्यां जातजागरम् / देवः स एव प्रत्यक्षीभूय भूपमभाषत // 523 // "अन्वयः-ततः प्रत्यूषशेषायां रजन्यां जातजागरं भूपं सः एव देवः प्रत्यक्षीभूय अभाषत / 523 // --- SESEGOSSESSIGGESEG 20......madhan