________________ प्रिय४२५ यरित्र... અનેક મંત્ર ગર્ભિત પરમપ્રભાવી શ્રી પાર્શ્વનાથ સ્તુતિસંયુક્ત ઉપસર્ગહર સ્તોત્ર. 1 उपसग्गहरं पास, पासं वंदामि कम्मघणमुक / विसहरविसनिन्नासं, मंगलकल्लाणआवासं // 1 // 2 विसहरफुलिंगमंतं, कंठे धारेइ जो सया मणुओ / तस्स गहरोगमारी-दुठजरा जंति उसामं // 2 // 3 चिठ्ठउ दूरे मंतो, तुज्झ पणामोऽवि बहुफलो होइ / नरतिरिएसु वि जिवा, पावंति न दुरक दोगच्चं // 3 // उँ अमरतरुकामधेणु-चिंतामणिकामकुंभमाइए'। सिरिपास नाहसेवा, गहाण सव्वे वि दासत्तं // 4 // ॐ ह्री श्री एँ ॐ ( नमो ) तुहदंसणेण सामिय, पणासेइ रोगसोग (दुख्ख) दोहग्गं / / कप्पतरुमिव जायइ, ॐ तुहदंसणेण सम्मफलहेउं स्वाहा // 5 // ॐ ही श्री नमिउण विपणासय, मायावीएण धरणनागिदं सिरिकामराजकलियं, पासजिणि नमसामि // 6 // उँ ही श्री पास विसहर विज्जा-मंतेण ज्ञाणझाएव्यो' / धरणपोमावइदेवी, ॐ ही लवर्यै स्वाहा // 7 // जयउ धरणदेव, पढम हुत्ती नागिणी विज्जा / 1 या. 2 गहाणं. 3 साय. 4 जिणंदं. 5 यवो. 6 पउमावइ देवी 7 उझं P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust