________________ लिष्टामः कं महामः / किं ब्रूमः किमु कुर्महे // सर्वस्वमपि चास्माकं / तेन भूपेन लुंटितं || // 55 // इति लोकवचो भूपो-रसि रोषं पुपोष च // ज्वलंतं ज्वलनं या-त्प्राज्याज्यदेपणं णात् // 53 // भूपे शिक्षासुधाधारा / मतिचंऽस्य मंत्रिणः // कुंभस्य परिपूर्णस्योपरिष्टादिव सावहत् // 54 // इतः कारयते संधि-मितो देशं च बुंटति // सूत ते मलिनः स्वामी / जातितः कर्मणोऽपि च // 55 // त्वं भूत इत्यवध्योऽसि / कोपपाटलया हशा // रा. झेति नहिँतो पूतो / निर्गत्यागात्स्वभास्पदं // 56 // अथ प्रस्थातुकामोऽसौ / पुर्यां जंजामवादयत् // मिमिवुः सुजटाः स्फूर्त्या-स्फालयंतो निजान् जुजान् // 57 // स्थानात्स्थानादथायोते-र्दीर्घहुंकारकारिनिः॥ पुरं शूरैश्चलत्पूरै-रकारि तुमुलाकुलं // 50 // दधिवाहनभूपालो / विपक्षदेपदक्षिणः // प्राचालीदावृतः सम्यक / सेनया चतुरंगया // 5 // // श्रागमद्देशसीमायां / यत्रास्ति करकंकुराट् // शूरसेनं स्वसेनायां / सेनान्यं कुरुतेस्म सः॥६० // क रकं मुनरेंद्रोऽपि सेनान्यं सैन्यरक्षकं // आनंदाहीटकं दत्वा / जयानंदमतिष्टपत् // 61 // सै|| न्ये संबवले ते / उन्ने अपि परस्परं // आसन्नमीयतुः कुब्धा-विव पूर्वापरांबुधी // 65 // P.P.AC.Gunratnasurn.M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust: