________________ जारधुरंधरः // तैश्चंबानयशाश्चंद्र-यशा राज्ये निवेशितः // ए३ // श्तश्च मदनरेखा / बजंती तीवेगतः // मानुगम्य स पापीयान् / संगृह्णास्विति जीतितः // ए४ // विलोक्यास्या महासत्या / गमनं फुकरं पथि // तमसीति विचार्येवो-दियाय दिननायकः // ए५ // चलं. ती पादचारेण / स्खलंतीव पदे पदे // वात्येव न कचित्तस्थौ / शीलनंगनयेन साए६॥ करैरुष्णकरस्योष्णै-रूध्वं चाधो नखंपचैः // वेलुकानिचयैरंतः-पुटपाकमिवाप सा // ए७ // अपि मित्राण्य मित्राः स्यु-रापद्येतदृतं वचः॥ मित्रेणापि बजती सा / पथि संतापिता नृशं॥ // // सातपेनापि संतप्ता / व्याप्ता च तृषया दुधा // एकं तमागमद्राक्षी-दाम्रवृक्षानुवेष्टितं // एए॥ प्रदाय वदनं तत्र / जलं पीत्वा च शीतलं // फलैश्च विहिताहारा / तस्थावेकतरोस्तले // 40 // ततः सा साकारप्रत्या-ख्यानं चेतस्यचिंतयत् // विझेया विचित्रा च / जीवानां कर्मणां गतिः // 1 // जवांतराणि चत्वारि / प्रोचे शासनदेवता // जयमगलजीवोऽयं / तत्रावादि मनोरथः // 2 // जवांतरेऽपि मय्यासी-देष संगी मया पुनः // विझाय तदजिप्रायं / पुरः पत्युर्निवेदितं // 3 // अमार्यः शत्रुरिति तं / त्यक्त्वा सोऽप्याश्र PPAC Gunrat Jun Gun Aaradhak Trust