________________ चरित्रं ३०ए निरुत्तरं // मोहिते मूर्जिते तस्मि-निजं धाम जगाम सा // 16 // कुमाराग्रे समग्रं तं / वृत्तां / / तमनिधाय सा // श्राख्यन्न स्वजनैः साकं / विरोधो यशसे प्रजो // 17 // मुक्त्वा क्लेशकर स्थान-मिदमन्यत्र गम्यते // कुमारः सत्यमित्युक्त्वा-ऽवांबजंतुं पितुः पुरं // 17 // पादुके पादयोः दिप्त्वा / कंथां स्वां परिधाय च // दक्षिणे लकुटं तां च / प्रियां वामे करेऽकरोत् // 15 // कुमारः कृतहुंकार / उत्पपात नजोंगणे // व्रजन् पितुः पुरं मार्गे / पंचदिव्यान्यलोकत // 20 // किमेतदिति साश्चयों-ऽवर्त यं नुवि मानवं // एकं पान सोऽप्याख्य-दत्रापुत्रो मृतो नृपः // 1 // पंचदिव्यं चमत्येत-दनिषेकपरं नरं // तयोर्तियतोरेवं / कुमारांते तदाययौ // 25 // अनिषेकं करी चक्रे / तस्य बत्रेण विस्तृतं // चामराज्यां वीज्यतेस्म / हयो हेषारवं व्यथात् // 3 // दिव्यवादि स्वयं तत्र / दिव्यया जयढक्या // सामंतैर्मत्रिनिः सर्वैः / स कुमारो नमस्कृतः // // वाद्येषु वाद्यमानेषु / गीयमानासु गीतिषु // जवत्सूत्सवबंदेषु / प्रोबलत्सु मुदांगिषु // 25 // दीयमानेषु दानेषु / समं रतिविलासया // आरुह्य सिंधुरस्कंधं / कुमारः पुरमाविशत् // 26 // युग्मं // श्रीगोग PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust