________________ प्रत्येक चरित्रं 563 पुत्रः सागरदत्ताख्यः / प्रेष्योऽनेन सहाधुना // यथास्य स्वसुतायाश्च / विवाहं रचयाम्यहं // 6 // हरिषेण इति श्रुत्वा / हर्षेणाख्यत्सखे मम // देवदिनो महामान्यो / विद्यादानाज पांगणे // ए // यत्तस्यानुमतं कार्य / तत्रानिमतमेव हि // अथवैवं विधे साधु-विधेये निरुपद्धि कः // 10 // इत्युक्त्वा पुत्रमाकार्य / पुरस्तादित्यशिक्ष्यत् // वत्स गब त्वया कार्य / दे. वदिन्नसमीहितं // 11 // यदादिशति तातस्त-प्रमाणमिति जल्पता // श्रितं सागरदत्तेन / विमानं सह मंत्रिणा // 15 // उत्पत्य प्रचलत्याशु / विमाने संस्थितो वजन // विचित्रनगरग्रामा-रामादीनि स ऐक्षत // 13 // स्वर्णप्राकारनृजत्न-कपिशीर्षविभूषितं ॥सर्वस्वर्णमयावासं / वर्णवछमहीतलं // 14 // अनेकरत्नरोचिष्णु-रोचिःपिंगीकृतांबरं // एकं नगरमावी-दधस्तात्स मनोहरं // 15 // युग्मं // विस्मितो मंत्रिणं प्राह / किमेतन्नगरं वरं // सो. ऽप्याख्यन्मया पूर्व / श्रुतं नैतहिलोकितं // 16 // कुमारः प्राह तन्नंत्रि-न्न किमत्रावतीर्यते // दृश्यते कौतुकततिः / स्वरूपं चास्य पृच्छ्यते // 17 // सोऽथ मुक्त्वा विमानं त-त्पुरोपांतवनांतरे // यागात्सम कुमारेणा-कस्माद्भपसनांतरं // 1 // देवाविव समायांतो। तत्र तौ वी Jun Gun Aaradhak Trust . PP.AC.Gunratnasuri M.S.