________________ प्रत्येक गमात् // श्ए // एकोऽपि कोपितात्मा स / / चूर्णीकृत्य सहस्रशः // पद्मसैन्ये ददौ दैन्य-म- || सदप्यात्मसंनिधौ // 30 // नंतं मुशलदंडेना-पतंतं तं गजेंवत् // रुरोध क्रोधादंतीव ।पअपुत्रो जयथः // 31 // विविधैरायुधैर्युकं / विदधानौ धराधरं ॥धूनंती सिंहनादेन / सिं. हाविव विरेजतुः // 35 // इतश्च देव दिन्नोऽपि / व्यवहारमिवादधे // व्यवहारी प्रहाराणां / दानात्प्राणानुपाहरन् // 33 // दो लेन विशालेन / शस्त्राच्यासबलेन च // विद्याबलेन सकलं / चक्रेऽरिकुलमाकुलं // 34 // विद्याप्रजाक्तः प्राधु-श्चकार महतीं शिलां // यां दृष्ट्वा वै. रिणो मूर्ध-संस्थितां नीतिमासदन् // 35 // रे रे नश्यंतु नश्यतु / पतत्येषा शिरःस्विति // पूरगैरुच्यमानेऽपि / मुच्यमानेऽपि चाध्वनि // 36 // नटेराकृष्य विशिखै-ईन्यमानापि सा शिखा॥ निखिलांचूर्णयामास / पश्यतो नश्यतोऽप्यरीन् // 37 // युग्मं // विद्याधरो वायुवेगः / क्रुको युद्धाय बद्धधीः // पद्मपदो दुढौकेऽथ / देव दिन्नाय चेत्यवक् // 30 // यदि विद्याबलं तेऽस्ति / तदागल मया समं // युध्यस्व रे वराकान् किं / काकानिव निहंस्यमून् // ३ए // ए. | ह्येहि गेहिनी खीया-महो त्वमपि रोदय // देवदिन्नो वदन्नेवं / करवालमुद विपत् // 40 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust