________________ // समायातु स संनह्य / सत्वरं सह सेनया // 5 // सिंधुराज्यामिवावाच्या-मालोड्य. | पृतनासरः // घमं पद्ममिवादाया-मृदु मर्दिष्यते क्षणात् // 6 // अतःपरं न वक्तव्य-मसंचरित्रं बडमिह त्वया // त्वरया गड त्वस्येः / स्वं स्वामिनमिहागमे // // इति निर्जर्सतो . श्५५ तः। सैवकैर्गलहस्तितः // ततो निःसृत्य कालास्यः / कालवत् श्रीगृहं ययौ // // द्विगुणीकृत्य वृत्तांतं / तं नृपाग्रे न्यवेदयत् ॥सोऽपि कोपितचेतस्कः / तूर्या जंजामवादयत् ॥ए॥ तत्क्षणं तन्निनादेन / सजीभृय महानुजाः॥षोमशसहस्रसंख्या। मिमिवुः पद्मसद्मनि // // ए॥ मंत्रिद्धाननाच्छ्या -वगणय्य कुवासरं // सुभटानप्यसत्कृत्य / प्राचालीस नरेश्व| रः॥ // निमित्तेषु जातेषु / वार्यमाणोऽपि मंत्रिनिः // कालपाशैरिवाकृष्टो / नास्थान्नुन्नः कुकर्म निः॥ ए // क्षुब्धाब्धिरिव दुःप्रेक्ष्यो / वाहिनीनामवस्थितिः // प्रससार नराधीशो / धुवानः पृथिवीतलं // ए३ // सहस्रपत्रसंपन्ने / कमलालंकृते तते॥ पद्मपद्महृदे चि. त्रं / वाहिन्यो न्यपतन्निह // ए४ // रजोनि—म्रिता श्राशा / विदधानोऽखिलाश्चलन् // क. पातानलकल्पोऽसा / कस्यातकाय नालवत् // एसोऽविजिन्नप्रयाणेना-ययौ तद्देशस Jun Gun Aaradhak PRAG Gunratnasuri M.S. .