________________ जोका सत्वप्रशस्यायां / धिग्मां मुग्धशिरोमाण // 53 // देवदिनो विचिंत्येति / विमानादवतीर्य च // वह्निज्वालावलीढाशां / पतंती साक् चितांप्रति // 54 // समेत्य सत्वरं तत्र। धृत्वा हस्तवरित्रं | येन तां // किमर्थ रक्षसीत्येवं / वदंती पूरमानयत् // 55 ॥त्रिनिर्विशेषकं // कोऽयमस्ती. 44 / | ति यावत्सा / संमुखं तस्य पश्यति // तावत्प्रीतिकरं प्राण-वनं तमुदैवत // 56 // ह. षोत्कर्षोऽजवद्योऽस्या-स्तं वक्तुं नेश्वरः परः॥ तृषितस्यामृतं पीत-मत्यंतं तृप्तिहेतवे // 5 // अकस्मादागतं वीक्ष्य / देवदिन्नं जना जगुः // अहो सत्त्वमहो सत्व-फलं सत्वरमुज्ज्वलं // // 27 // सत्वानां सत्त्वसंबंधा-त्फलत्याशु मनोगतं // अंकुलकतैलयोगा-बीजमानतरोरिव ॥एए // अवातरन्मरुन्मार्गा-हिमानं तत्र दीप्तिमत् // कुतूहलाकुलस्वांता / मिमिवु गरा नराः॥६० // विमानातूर्णमुत्तीर्णाः। पूर्णागाचं गिमातृतैः // तैस्तै नैर्वीयमाणा-श्चतस्त्रस्तस्य वबलाः // 61 // पंचनिःसह पत्नीनिः / शोचतेम शुजाकृतिः॥ शोजितः पुण्यरूपा निः // साधुः समितिभिर्यथा // 6 // वधू निवारणायातं / तातं संतोषितांतरं // स प्रिया- || || सहितः सौवं / नमोऽकार्षीत्सनक्तिकः // 63 // पितृपृष्टनिजोदंतः / कथितस्वकथोऽथ सः // PE, Ac. Gunratnasuri M,S. Jun Gun Aaradhak Trust -