________________ प्रत्येक चरित्र सनी धुरागतस्तत्र / ज्ञानी ज्ञाननिधिर्मुनिः // पृष्टो वेदश्रिया नत्वा / जवांतरमुवाच सः // 3 // पुरे गजपुरे राजा। विलासरुचिरित्यनूत् // रतिप्रीती स्मरस्येव / तस्यास्तां वबने उन्ने // | // 4 // याद्या गुणमती तत्र / द्वितीया नानुमत्यभूत् // तान्यां च स्वस्वगेहाग्रे / कारिते जिनमंदिरे // 5 // तुल्येन विधिना ताभ्यां / पूजा तत्र विधीयते // यौवनस्था नानुमती / नर्तुर्मानेन गर्विता // 6 // द्वेषान्यवारयत्पूजां / गुणमत्या जिनालये // तद् ज्ञात्वा भूजुजानाणि / मुग्धे पापं करोषि किं // 7 // जिनेसा हीलिताः सर्वे-ऽप्येकस्मिन्नवहीलिते॥ एकस्मिन् पूजिते सर्वे / पूजिताः स्युर्यतः प्रिये // 7 // बहुद्रव्यव्ययेनापि / समत्सरतया कृता // जवेत्पूजा जिनेंद्राणां / निष्फला शरदज्रवत् // ए॥ जानुमत्या ततोऽनाणि / कार्मणेन. व. शीकृतः // गुणमत्यानया यस्मा-देकपदं वदस्यदः // 10 // इति श्रुत्वा गुणमती / पूनात्यंतं स्वमानसे // तत्प्रत्ययं तया वळं / पुष्टं कर्म निकाचितं // 11. // ततो राज्ञा च राशीच्यां / | श्राधर्म विनिर्ममे // मृत्वा जानुमतीजीवः / किल्विषीयेष्वजायत // 1 // आयुःक्ष्यात्ततच्यु || त्वा। वेदश्रीस्त्वमभूरिह // सौधर्मदेवलोकेऽपि / जातो गुणमती सुरः॥१३॥ ततश्युत्वा सपत्नी // JU GUN Aaradhal