________________ प्रत्येक हिमुखराज्ञापि / प्रजावविनवालयः // राज्यसर्वखमप्येष / मुकुटः कथमर्थ्यते ॥२५॥तेनो तं नूप चौराणां / राज्ञां चाधिक्यशालिनां // बलिनां च निजं. वस्तु / कोऽपि दत्ते किमित्रया // 6 // यस्य गर्जगजघटा-देमघंटातमिहरा // विशालहस्तिशालायां / मेघमालेव लोक्यते // 7 // यस्यैकदिनमात्रेण / शतयोजनलंघकः // साक्षादैरावणाकारो। छारेऽनल गिरिगंजः // // प्रद्योतनप्रतापेन / चंप्रद्योतभूलुजा // क्षणं कटादितः कोऽपि / स्थातुं नास्ति कमः दितौ // 25 // यं सानीकं शतानीकः / श्रुत्वायांतं जयातुरः // रात्रौ विशूचिकां प्रा. प्य / गतवान् यमसद्मनि // 30 // उत्पत्तिक्यादिबुद्धीनां / निधिः श्रेणिकसंजवः॥ बवाजयकुमारोऽपि / येनानीतः स्ववेश्मनि // 31 // विहस्य द्विमुखमाप-मंत्र्यूचे मतिसागरः॥ संति पूतावदातास्ते / स्वामिनः कामिनो घनाः // 35 // अन्यस्तश्राजधर्मानि-र्वेश्यानिर्ध. मैकैतवात् // बलयित्वा किलानीत-स्तेनाजयकुमारराट् // 33 // परं तत्र स्फुटीकृत्य / बुछिकौशलमात्मनः // स्वं विमोच्य खयमसौ / प्रतिज्ञां तत्पुरोऽकरोत् // 34 // अहं बलादी|| लाधीश / उन्नमानायितस्त्वया // मध्याह्नेऽहं सफूत्कार-मुज्जयिन्याश्चतुःपथे // 35 // लवंतं | PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust