________________ PP A Gunun MS होगी एवं बालकों की बुद्धि तीव्र होगी। इस भूमण्डल पर जम्बू-वृक्षों के आकार से सुशोभित जम्बू नामक एक द्वीप है। श्री बाहिनीनाथ माण्डलीक इसकी रक्षा करते हैं / जम्बू द्वीप सुवृत्त एवं गोलाकार है। इसी द्वीप का एक भाग भरतक्षेत्र है, जो तीर्थङ्करों | के पञ्चकल्याणक स्थानों से युक्त पवित्र तीर्थ है। इस क्षेत्र में मगध नामक एक देश अपनी मनोरम सुन्दरता के लिए विश्व-विख्यात है। उस मगध के राजगृह नगर का भला कौन वर्णन करे, जो अपने भव्य जिन-मन्दिरों के कारण स्वर्ग की अलकापुरी को भी पराजित कर रहा था। एक समय इसी प्रसिद्ध नगर का राजा श्रेणिक था, जिसकी वीरता एवं सच्चरित्रता अखिल विश्व में प्रसिद्ध थी। वह सत्पुरुषों की रक्षा में लीन, आचार-धर्म का पालक तथा सम्यक्त्व से सशोभित था। राजा श्रेणिक को प्रिय पत्नी चेलना महान पतिव्रता थी। उसकी सुन्दरता के समक्ष देवाङ्गनायें भी लज्जित होती थीं। वह पवित्र हृदय, सम्यक्त्व में आस्थावान, निर्मल चरित्र तथा परम धार्मिक थी। महाराज श्रेणिक ने दीर्घकाल तक उसके साथ सुख से आनन्द-विहार किया। नाना प्रकार के मनोहर उद्यानों से सुशोभित विपुलाचल पर्वत पर एक समय श्री महावीर स्वामी का ण आया। जिनेन्द्र भगवान के अतिशय के प्रभाव से वहाँ फल-पष्पों की परिपर्णता हो गयी। हिंसक जन्तुओं में पारस्परिक बैर-भाव विस्मृत हो गया। उद्यान की ऐसी मनोरमता देख कर वहाँ का माली बड़ा आश्चर्यचकित हुआ। कारण ढूँढ़ने के लिए वह प्रयत्न करने लगा। जब उसे भगवान का समवशरण दिखलाई पडा.तो उसकी प्रसन्नता को सीमा न रही। माली ने राजोद्यान में एक संग खिल आए सभी ऋतुओं के सुगन्धित पुष्प तोड़े तथा उन्हें ले कर वह राजा श्रेणिक की सभा में गया। उसने महाराज को पुष्प भेंट किये तथा प्रार्थनापूर्वक निवेदन किया- 'हे राजन् ! हमारे नगर के निकट विपुलाचल पर्वत पर केवलज्ञान के धारक चरम तीर्थङ्कर श्रीवर्द्धमान स्वामी का आगमन हुआ है। उनकी कृपा से आप की आयु-वृद्धि हो एवं आप सर्वगुण-सम्पन्न बनें।' तीर्थङ्कर भगवान के आगमन का सुसम्वाद सुनते ही राजा श्रेणिक सिंहासन से उठ कर खड़ा हो गया तथा उसने सात कदम सम्मुख चल कर भगवान को प्रणाम किया। सत्य है, परोक्ष का विनय ही सज्जनों का लक्षण होता है। राजा श्रेणिक ने अपने धारण किये हुए सोलहों प्रकार के वस्त्राभूषण उतार कर मालो को पुरस्कार में दे दिये, Jun Gun Aaradh Trust