SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 133
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ PP Ad Gunanasuri MS वरण कर लेगा।' नारद मुनि से हितोपदेश सुनकर कुमार रथ को तीव्र गति से चलाने लगे। विमान बड़े वेग || से जा रहा था, उसकी फहराती हुई ध्वजायें समुद्र की तरङ्गवत् प्रतीत होती थीं। मार्ग में नारद मुनि द्वारा एक मनोरमक चरित्र का वर्णन हुआ। हे राजा श्रेणिक ध्यान से सुनो। उसको संक्षेप में कहते हैं- |230 ___विजयार्द्ध पर्वत को पार कर विमान भूमिगोचरी क्षेत्र में आ पहुँचा। वहाँ की पृथ्वी सघन वनों, सरोवरों एवं नगरों से सुशोभित हो रही थी। नारद मुनि ने सघन वन में खदिरा नाम की अटवी (घाटी) देखी। इसी अटवो में कुमार के शत्रु दैत्य ने उसे शिला के नीचे दबा दिया था। नारद ने उसे कुमार को दिखलाया, तब कुमार को बड़ी प्रसन्नता हुई। विमान तेजी से गन्तव्य की ओर अग्रसर होता गया, नारद मार्ग में पड़ रहे विशेष स्थानों का परिचय देते जा रहे थे। उन्होंने कुमार से कहा-'देखो, विमान के कर्णप्रिय घण्टों की मधुर ध्वनि सुन कर हरिणियों का समूह क्रीड़ा कर रहा है। इस प्रकार नारद ने वन में सिंह, व्याघ्र, गजराज आदि जन्तु दिखलाये, जिन्हें देख कर कुमार परम हर्षित हुए। थोड़ी दूर आगे जाकर नारद ने कहा'हे कुमार! देखो, उत्तुङ्ग पर्वतों का स्वामी यह महापर्वत वैसे ही शोभित है, जैसे तुम सामन्त राजाओं के अधिपति होकर विराजते हो।' आगे बढ़ने पर गङ्गा नदी मिली, जिसके तट पर पुष्पों के समूह शोभा दे रहे थे एवं उनकी सुगन्धि से सुवासित स्वच्छ नोर (जल) प्रवाहमान था। भाँति-भांति के जलचरों से सुशोभित गङ्गा-नदी को देख कर कुमार अतीव प्रमुदित हुए। नारद ने बतलाया कि यह पवित्र गङ्गा-नदी है। इसके तट पर देव कन्यायें निवास करती हैं। कुमार के मुख से भी सहसा निकल पड़ा-'अहा! यह गङ्गा नदी का प्रदेश बडा ही रमणोक है।' 2. इस प्रकार विस्मयजनक प्राकृतिक शोभा को निहारते हुए दोनों आगे बढ़ते गये। आगे एक जगह चतुरङ्गिणी सेना दिखलाई दी। उस विराट सेना को देख कर कुमार ने नारद से जिज्ञासा को–'हे नाथ! यहाँ भूतल पर किस राजा का शिविर स्थापित हुआ है ? ऐसा विशाल सैन्य शिविर तो मुझे विद्याधरों के देश में भी देखने को नहीं मिला।' तब नारद ने बतलाया_ 'हस्तिनापुर में महाप्रतापी राजा दुर्योधन राज्य करता है। पूर्व में भगवान आदिनाथ के समय इसी कुल में श्रेयांस नाम का राजा हुआ था। उसके बाद कुरु नाम का राजा हुआ, जिसके नाम से ही यह वा विख्यात Jun Gun Aaron | 230 Trust
SR No.036468
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomkirti Acharya
PublisherJain Sahitya Sadan
Publication Year2000
Total Pages200
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size275 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy