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________________ amosalsasterstatestates श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् ARRANROTESTOSTRAPAuNews 6 ગુજરાતી :- તે સમયે) અતિ ઉદાર માણસની પેઠે વરસાદ વૃષ્ટિદાનથી અટક્યો નહીં, અને તે ધન્યનો તે મુનિ પ્રત્યેનો શુભ ભાવ रवीश पोनडी.ne360 हिन्दी :- (उस समय) अति उदार आदमी के समान मेघ वृष्टिदान से रुके नही, और उस धन्य का शुभ परिणाम भी उसी तरह उस मुनि के प्रति रुका नही। // 936 // हट मराठी :- तेव्हा अतिशय दान करणारा त्यागी जसा दान करणे थांबवीत नाही. त्याप्रमाणे मेयानेही पाऊस पाहणे थांबविले नाही. त्याप्रमाणे धन्याच्या मनात त्या मुनिराजाबदल उत्पन्न झालेला शुभ परिणामही थांबला नाही.॥९३६॥ English - The rain, just as a very generous man, generously kept on showering its cision of showers on the earth. But this did not hamper Danyeis pious desire of holding the umberlla for the meditating ascetic. निर्विण्ण इव मेघोऽथ क्रमाद्वष्टेयवर्तत। आवृष्टि प्रतिपन्नाच्च कायोत्सर्गात् पुनर्मुनिः / / 937 // अन्वय:- अथ मेघ: निर्विण्ण: इव क्रमात् वृष्टे:न्यवर्तते। मुनिः पुन: आवृष्टिं प्रतिपन्नात् कायोत्सर्गात् न्यवर्तत // 937 // विवरणम्:- अथ अनन्तरं मेघ: घन: निर्विण्ण: इव खिन्न इव क्रमात् वृष्टेः वर्षणात् न्यवर्तत व्यरमता मुनिः पुन: वृष्टेः आ आवृषि वृष्टिपर्यन्तं प्रतिपन्नात् स्वीकृतात् कायस्य शरीरस्य उत्सर्ग: कायोत्सर्ग: तस्मात् कायोत्सर्गात् व्यरमत् // 937 // सरलार्प:- अनन्तरं मेप: खिन्नः इव वृष्टेः न्यवर्तत। मुनिः पुन: यावत् वृष्टिः भवति तावत् स्वीकृतात् कायोत्सर्गात् व्यरमत् / / 937|| જ ગુજરાતી:- પછીતે વરસાદ જાણે થાકી ગયો હોય તેમ અટકી ગયો અને તે મુનિ પણ વૃષ્ટિ સુધીના અભિગ્રહવાળા કાયોત્સર્ગથી निवृत्त था. (अर्थात तेभायोत्सर्ग पार्यो.)॥3॥ हिन्दी :- फिर वह बरसात मानो थक न गयी हो वैसे बरसती हुई आखिर रुक गयी, और वह मुनि भी वृष्टि तक के अभिग्रहवाले कार्योत्सर्ग से निवृत्त हुए।।९३७||
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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