________________ ORTHERSONSRLSO987888 श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् SOUTOURBRANSPONSERINA मयाचन्द्रमतं मत्वा सहर्ष सादरं शुभम् / गुणसिन्धुश्च सच्छिष्य: पूज्यपादपदस्थितः / न्यमन्त्रयद् गुरुं तत्र, भुजसङ्घश्चतुर्विधः // 31 // उपाध्यायपदं प्राप्य मेराऊमध्यमानित: // 39 // श्रीगुणसागरायैव सकलसङ्घसङ्गिनी। भूपतिभारमल्लेन समर्पिते शुभासने। उत्तरादायिता दत्ता वाद्धक वयसि स्थिते // 40 // व्याख्यानं व्यतरन्नित्यं प्राज्ञ: पद्मासनस्थित: // 32 // वर्षाणां विंशतिर्वीता व्रतमाचरतां दृढम् / मयाचन्द्रानुरोधाद्वै योगोद्वहनमाचरन् / दुग्धान्नचन्द्रिकायुक्तं भुक्तं द्रव्य द्वयं किल // 41 // गुर्वी दीक्षा ग्रहीता च मासान्ते मार्गशीर्षक // 33 / / कच्छहालरराज्यस्था कल्याणसिन्धुसज्ञका। उत्तमसागर: शिष्य: प्रथम प्रेमपुष्पकम् / प्रस्थापिता गुरोर्मूर्ति: प्रान्ते प्रान्ते पदे पदे // 42|| शीवश्री प्रथमा शिष्या प्रीतिपात्रावलम्बिता // 34 // पट्टपरम्पराप्रासा सुदीर्घा च समुज्जवला। पुन: परम्परा प्राप्ता साधुसाध्वीसमन्विता। श्रद्धया स्नेहपूर्वं च सङ्घक्षेपेण निवेदिता // 43 // विशाल: शिष्यवृन्दश्च साधैकशत सव्यकः // 35 // महोपाध्यायपर्यन्तं सोपाध्यायागणीश्वराः / / पञ्चसप्तति पङ्कतोऽपि रामाणिया प्रमाणित: // 44|| षड्री नियमसङ्घाश्च सम्प्रेरितामुहुर्मुहुः / एकोननवतिं प्राप्य वर्षाणां वयसा विभुः / महोत्सवाश्च सम्पन्ना धर्मध्यानं धृतं धिया // 36 / / शरीरं नश्वरं त्यक्त्वा कालधर्मं गतो गुरुः // 45|| दशाधिकं शतं वृन्दं प्रियं प्रापितवानपि / विक्रमाब्दे च वैशाखे ग्रहशून्य द्वयाम्बके / वार्द्धक तु स्वहस्तेन हस्तग्रन्थानवातरत् / / 37 / / त्रयोदश्यां च शुक्लायां कच्छभूमौ भुजङ्गत: // 46 // . उत्तमश्री दयाश्री च गुलाबश्रीगुणान्विताः / शान्तं दान्तं सुधीरं च गम्भीरं गुरुगौतमम् / सुधन्यास्ता: प्रधानाश्च शुश्रूषा व्रतपालिकाः / / 38|| वन्दामहे विवेकेन तेजोमूर्ति तपस्विनम् / / 47|| APASumanasanMS Jun Gun Aaradhak Trust