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________________ PO RNARSANEPRANASIAN श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् INSANRSANASANASISARRIANRAISINS VE हिन्दी :- फिर नाट्यकार्य में दक्ष, ऐसे कुशल को सामने की ओर खडा देखकर राजाने सपर्ण मंत्री से कहा कि, "हे मंत्री। तुम इस कुशल को कृतार्थ करो।"||७९५॥ . मराठी:- मग नाट्यकार्यात विलक्षण अशा कुशल नावाच्या राजदूताला समोरच उभा असलेला पाह्न राजाने सपर्ण नावाच्या मंत्र्याला आज्ञा केली, "हे मंत्री। त्या कुशल ब्राह्मणाला कृतार्थ करा"|७९५|| English - Then standing up and addressing the minister, asked him to reward Kushal generously, who was standing ahead of all actors. NASUDESEFFEELFound ___वय युगादिदेवस्य पूजां सायन्तनीं पुनः॥ - यामोऽधुना कर्तुमिति निष्क्रान्ता: सर्व एव हि // 796 // अन्वयः-' वयं पुन: अधुना युगादिदेवस्य सायन्तनीं पूजां कर्तुं यामः / इति सर्वे एव निष्क्रान्ताः // 796 // विवरणम्:- वयं पुन: अधुना इदानीं आदिश्चासौदेश्वआदिदेव: युगस्य आदिदेव: युगादिदेवः, रस्य युगादिदेवस्य आदिनातऋषभदेवस्य सायं भवा सायन्तनी, तां सायन्तनीं सायंकालीनां पूजामा कर्तुं विधातुंयाम: गच्छामः इति उक्त्वा सर्वे एव निष्क्रान्ता: निर्गताः॥७९६॥ सरलार्थ:- वयं पुन: इदानीं युगादिदेवस्य भगवतः ऋषभनाथस्य सायन्तनीं पूजां कर्तुं गच्छामः / इत्युक्त्वा सर्वे एव निष्क्रान्ताः // 796 // ગુજરાતી:- અમો તો શ્રી યુગાદિદેવની સંધ્યાકાળની પૂજા કરવા જઇએ છીએ, એમ કહી સઘળાં પાત્રો (રંગભૂમિ પરથી) ની ગયાં.૭૯૬ दी :- "हम तो श्रीयुगादिदेव की संध्याकाल की पूजा करने के लिये अभी जा रहे है।" ऐसा कहकर सभी पात्र (रंग निकल गये।।।७९६॥ P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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