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________________ ORDSMANABASANAORAIGAD श्रीजयशेवग्यावर्गचनं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम SARANPASSSPARANORANDUSTRY 卐हिन्दी :- तब गांधारने कहा कि, "हे पिंगला यह दमयंती सचमुच अपने स्वामी को नही देखने से मर जाएगी। इस लिये अब इस को उठा कर सार्थवाह को सौंप दिया जाय, जिससे वह क्रमसे अपना इच्छित (वांछित) प्राप्त करेगी।"मेसा कहकर वे लोग वैसा कर के रंगमंच से निकल गय||७९३॥ - .: . मराठी::- तेव्हा गांधार म्हणाले की, "हे पिंगला ही दमयंती खरोखर स्वतःच्या स्वामीला न पाहिल्यामुळे मरून जाईल, म्हणून आता हिला उचल्न सार्थपतिकडे सोपवून देऊ की ज्यामुळे ती अनुक्रमे स्वतःचे वाञ्छित प्राप्त करील," असे म्हणून ते दोघे तसे करण्यासाठी रंगभूमीमथ्न निप्न मेले.॥७९ : English - Then Ghandar said to Pingal that this chaste woman will certainly die for the want of her husband so he should therfore pick her up and place her along with the campers, so that she can fulfil her desires one by one saying this he walked out of the stage. राजायोध्य समालोक्य कथमस्त गतो रविः॥ * रसातिरेकादस्माभिर्विधि: सान्ध्योपिलङियतः // 79 // अन्ययः अथ राजा ऊध्य समालोक्य आह: कथं रवि: अस्तं गतः / रसातिरेकात् अस्माभिः सान्ध्यः विधिः अपि लडियत: // 79 // जविवरणम्:- अथ अनन्तरं राजा नृपः ऊवं समालोक्य वृष्ट्रा आरकथं रवि: सूर्यः अस्तं गत: गतवाना रसस्य अतिरेक: रसातिरेक: तस्मात् रसातिरेकात् रसातिशयात् अस्माभिः सन्ध्यायां भव: सान्ध्यः विधिः अपि लडिघत: अतिक्रान्तः 79 // सरलार्थ:- अनन्तरं नृपः कर्व विलोक्य आह-किं सूर्यः अस्तं गतः / रसातिशयात् अस्माभिः सन्ध्याकालीनः विधिः अपि लयित: 794|| 5555555555555555 74 Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasuri M.S.
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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