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________________ OROPHASAPTSHANPARIBACHAPAGAL श्रीनयशवरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम yearssososensesandeeosevendra 6 ગુજરાતી - ત્યારે ગાંધારે કહ્યું કે, હે આ આ તો પડઘો છે, ત્યારે દમયંતી એકદમ ઉભી રહીને કહેવા લાગી કે, શું આપડઘો છે? त्यारे धारे ह्यु,त्यारे भीतुं शुंछ? // 733 // पर हिन्दी :- तब गांधार कहता है कि, "हे आयें! यह तो प्रतिध्वनि है," तब दमयंती अचानक रुककर कहने लगी कि, “क्या यह प्रतिध्वनि है?" तब गांधार कहता है कि, "तो और क्या है?"||७३३|| मराठी:, तेव्हा गांधार म्हणाला की, "हे आयें। हा तर प्रतिध्वनि आहे," तेव्हा दमयंती एकदम उभी राहन म्हणाली की, "काय हा प्रतिध्वनी आहे?" तेव्हा गांधार म्हणाला की, "नाहीतर मग आणखी काय आहे?"|७३|| English :- At this Ghandar told her that this was just an echo, she was running after. This made her wonder in astonishment. SEEEEEEEEEEE स्वच्छायां भैम्यथालोक्य सहसोच्चैः स्वरं जगौ॥ दिष्ट्या दृष्टोऽसि दृष्टोऽसि केदानीं नाथ गच्छसि // 734 // अन्वय:- अथ भैमी स्वच्छायाम् आलोक्य सहसा उच्चैः स्वरं जगौदिष्ट्या दृष्टः असिा दृष्टः असिा हे नाथ! इदानीं क्व गच्छासि // 73 // विवरणम:- अथ अनन्तरं भीमस्यापत्यं स्त्री भैमी दमयन्तीस्वस्य छाया स्वच्छाया, तां स्वच्छायाम आलोक्य दृष्टा सहसा उच्चैःस्वर जगादा दिष्ट्या भाग्येन दृष्टः असि / दृष्टः असिा अर्थात् प्राप्तः असिा स्वच्छायामेव नलं मत्वा सा इत्थं वदति। हे नाथा इदानीम् अधुना वगच्छसि? इति // 734 // सरलार्थ:- अनन्तरं भैमी स्वच्छायाम् आलोक्य उच्चैःस्वरं जगादनाथ। अथ त्वं भाग्येन दृष्टः असि / इदानीं क गच्छसिर 734 // ગુજરાતી :- પછી દમયંતી પોતાનો પડછાયો જોઇને એકદમ મોટા સ્વરથી બોલવા લાગી કે, સારું થયું કે, મેં મારા સ્વામીને नारथीया, यासाभी imयो छो? // 734 // 听听听听听听统听听听听听听听听听听 P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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