________________ 8 8087088ABBesीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलषमयन्तीचरित्रम् Mendas@szsRSANBARARIAssosia OFF मनमानानमनगमन E यबापास्तमकल्याणमार्यपुत्रोऽत्यजन्न माम्। किं पुनर्मविनोदार्थन परिहासमसौ व्यधात् // 730 // अन्वयः यद्वा अकल्याणम् अपास्तम् / आर्यपुत्र: मां न अत्यजत् / किं पुन:? असौ भविनोदार्थ परिहासं व्यधात् // 730 // विवरणम्:- यद्वान कल्याणम् अकल्याणम् अमङ्गलम् अपास्तं भवतु अपसरतु आर्यपुत्र: नल: मां न अत्यजत् नव्यसृजत् / किं पुन: बहुउक्तेना असौनल: मम विनोदाय इदं मविनोदार्थ मम मनोविनोदनं कर्तुं वक्ष्यमाणं परिहासंनर्मव्यधात् अकरोत् // 730 // सरलार्थ:- अथवा अमंगलम् अपहतं भवतु / आर्यपुत्रः मां न अत्यजत् / बहुना उक्तेन किम्? असौ मम मनोविनोदनाथ परिहासम् अकरोत् / / 730 // ગુજરાતી:- અથવા અમંગલ દૂરથાઓતે આર્યપુત્રનલે મને તજેલી જ નથી, વધારે શું કહ્યું? ફક્ત મનનો વિનોદ કરવા માટે તેણે Aniसीबीछे.॥७30॥ हिन्दी :- "अथवा अमंगल दूर हो? उस आर्यपुत्र नल ने मुझे त्यागा नही है, अब अधिकं क्या कहूँ? केवल परीहास के लिये उन्होंने मेरे साथ मजाक किया है।"७३०॥ मराठी :- "किंवा अमंगल दूर होवो। आर्यपुत्र नळाने मला सोडले नाही, अधिक काय सांग केवळ मन रमविण्यासाठी त्यांनी ही गंमत केली आहे."19301॥ English:- She then wished the bad omen to pass away she then says that, maybe Nal has'nt left her but is just playing a joke on her. E लक्ष्यीकृत्य नम: समाह नाथ निर्मानुषं वनम्॥ भीरुश्चैकाऽहमेोहि तदलं नर्मणाऽप्यति // 731 // नभ: लक्ष्यीकृत्य आह स्म / नाथ / वन निर्मानुषम् अस्ति / भीरु: च अहम् एका। एहि एहि / अतिनर्मणा अलम् SEASEELUFELY अन्वय: // 731 // Sun Aarechak Trust