________________ उत्पतन्त: पतन्तश्च सुरासुरनभश्चराः। अदृश्यन्त तया व्योम्नि, शकुन्ता इव सर्वतः // 402 // a अन्यय:- तया व्योम्नि शकुन्ता इव उत्पतन्त: पतन्तश्च सुरासुरनभश्चरा: अदृश्यन्त // 402 // विवरणम् :- तयादमयन्त्याव्योम्नि आकाशेशकुन्ता: विहजाः इव उत्पतन्त: ऊर्ध्वङ्गच्छन्त उड्डयमाना: पतन्त: अधः आगच्छन्त:न सुरा: असुरा:नभसि चरन्ति इति नभश्चराः। सुराश्च असुराश्च नभश्चराश्च विद्याधराश्च सुरासुरनभश्चरा: अदृश्यन्त। दृष्टा: // 402 // REEEEEEEEEEEEEEEE ગુજરાતી - વળી તેણીએ આકાશમાં પક્ષીઓની પેઠે ચોતરફથી ઉચે ઉડતા તથા નીચે ઉતરતા, એવાદેવ, દાનવો, તથા વિદ્યાધરોને कोस.॥४०२॥ हिन्दी :- फिर उसने आकाश में (आसमान) पंछीओं की तरह चारो ओर ऊँचे उडते हुए और नीचे उतरते हुए देवों, दानवों और विद्याधरों को देखा // 402 // मराठी : नंतर तिने आकाशात पक्ष्याप्रमाणे चारही बाजूस उंच उडत असलेले, आणि खाली उतरत असलेले असे देव, दानव, व वियाधर पाहिले. // 402 / / Ja English - Then she saw many gods, goblins and giants freely flying about in the sky on all four sides and also saw them walking down to earth.