________________ O ORIGendlessNTRASTRASTRA श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम Spressnepalesesane दृष्टं वृष्टिजलैर्जातं, विरजस्कं महीतलम्॥ संवेगरसपूरेण, भैम्यार्चायां स्वचित्तवत् // 352 // अन्वय :- भैम्या वृष्टिजलै: विरजस्कं महीतलम् अर्चायां संवेगरसपूरेण विरजस्कं स्वचित्तवत् दृष्टम् // 352 // ॐ विवरणम् :- भीमस्य अपत्यं स्त्री भैमी तया भैम्या दमयन्त्या वृष्ट्या: जलानि वृष्टिजलानि तैः वृष्टिजलैः विगतं रज: यस्मात् तद् विरजस्कं मह्या: पृथ्व्या: तलं महीतलम् अर्चायां पूजायां संवेगस्य रस: संवेगरस: संवेगरसस्य पूरः संवेगरसपूरः तेन संवेगरसपूरेण वैराग्यरसपूरेण विरजस्कं रजोगुणरहितं स्वस्य चित्तं स्वचित्तं स्वचित्तेन तुल्यं स्वचित्तवत् दृष्टम्॥३५२॥ जसरलार्थ :- दमयन्त्या वृष्टिजलैः विरजस्कं रजोरहितं जातं पृथ्वीतलं पूजायां वैराग्यरसप्रेण विरजस्कं रजोगुणरहितं जातं स्वचित्तवत् दृष्टम् / / 352 // ગુજરાતી :- મેઘવૃટિના જલથી રજરહિત થયેલાં પૃથ્વીના તલને, દમયંતીએ વૈરાગ્યરસના પ્રવાહથી જિનેશ્વરની પૂજા સમયે "(પાપરૂપી રજથી રહિત થયેલાં) પોતાનાં નિર્મલ હૃદય સરખું હોય તેમ જોયું ૩૫રા हिन्दी :- मेघवृष्टि के जल से रजरहित बने पृथ्वी के तल को, दमयंती ने वैराग्यरस के प्रवाह से जिनेश्वर की पूजा करते समय (पापरूपी रज से रहित ऐसे) खुद के निर्मल हृदय समान देखा // 352 // प.मराठी :- मेघाच्या वृष्टीने पळरहित झालेले पृथ्वीतळ दमयंतीला जिनेश्वराच्या पूजेत वैराग्यरसाच्या पुराने रजोगुणरहित (पापरहित) निर्मळ झालेल्या आपल्या चित्ताप्रमाणे दिसले. // 352|| OdEnglish :- Just as the dusty ground was cleansed by a shower of rain, in the same way, Damyanti who was doing the puja of Lord Jineshwar whole heartedly experienced utmost peace within and felt as though she was cleansed from all sins. ffi Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.