________________ 3D "3:41. AMRAParsandestoresensensus श्रीशयशेखरसूरिविरचित श्रीतलवभयन्तीचरित्रम् aspatrisanerdersangregislikes यामो वयं सखे चूत, भ्रात: केसर हेऽर्जुन। ममाकार्यविधायित्वं, यूयं वित्थ स्म मा हदि // 278 // अन्वय:- हे सखे चूत / वयं यामः। हे भ्रात: केसरी हे अर्जुन / मम अकार्यविधायित्वं यूयं हदि मा वित्थ स्म // 27 // विवरणम् :- हे सखे। मित्र| चूत आम्रवृक्ष / वयं यामः गच्छामः। हे भात: बन्धो / केसर / हे अर्जुन / मम कर्तुम् अयोग्यम् अकार्यम् अकार्य विदधातीत्येवंशील: अकार्यविधायी। अकार्यविधायिन: भाव: अकार्यविधायित्वं अयोग्यम् आचरणं यूयं हदि मनसि मा वित्थ स्म जानीथ स्म // 278 // सरलार्थ :- हे सरखे। आम्रवृक्षा वयं गच्छामः हे भ्रात: केसर / हे अर्जुन मम अयोग्याचरणं - व्यं हृदि मा जानीथ स्म // 278 // કે ગુજરાતી:- હે મિત્રસરખા આયવૃશાહે ભાઇસરખાકેસરવૃતિશાહે અર્જુનવણી મારા આ કાર્યના આચરણને તમને તમારાં હૃદયમાં ધારણ કરશો નહીં. 278 हिन्दी :- हे साथी समान आम्रवृक्षा हे भाई केसरवृक्ष / और हे अर्जुनवृक्ष / मेरे इस अयोग्य आचरण को तुम तुम्हारे हृदय में धारण मत करना // 278 // र मराठी : हे मित्रासारख्या आम्रवृक्षा। हे भावासारख्या केसरवृक्षा। हे अर्जुनवृक्षा! माझे अयोग्य आचरण (वागणे) तुम्ही मनात ठेवू नका. // 278 // English :- Then he spoke to the mango tree as a friend, to the saffron tree as a brother and to the Arjun tree, asking them not to take it to heart, for doing such improper thing, of leaving Damyanti.