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________________ ORTOINBadavBANAVBAORADAO श्रीजयशेखरसरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् Sane w s પs ગુજરાતી :- દેશો જોવા માટેનો જે ઉત્સાહ હોય છે, તે જ હવે અમારી સાથે છે, માટે અમે સુખરૂપ જ રહીશું, તમ (જરાપણ) કચવાઓ નહીં. 2015 हिन्दी :- अलग अलग देश देखने का हमें जो उत्साह है, वह अब हमारे साथ है इसलिये हम सुख समाधान से जायेंगे, आप जरा भी नाराज नहीं होना // 201 // मराठी:- वेगळे वेगळे देश पाहण्याचा आमचा जो उत्साह आहे तोच आम्हाला सहाय्यभूत आहे, म्हणून आम्ही सुख समाधानपूर्वक जाऊ, तुम्ही जरापण दुःखी होऊ नका.।।२०१।। English - The King then said that he always had the interest to see different places and this will increase his enthusiusm all the country with utmost blis. So he asks them to leave their anger aside. एवं प्रज्ञापिता राज्ञा, तेन्यवर्तन्त नागराः॥ केवलं कायमात्रेण, मनसा त्वन्वगुर्नुपम् // 202 // अन्वय:- एवं राज्ञा प्रज्ञापिता: ते नागरा: केवलं कायमात्रेण न्यवर्तन्त / मनसा तु नृपम् अन्वगुः // 202 // विवरणम् :- एवं इति राज्ञा नृपेण नलेन प्रशापिता: अवबोधिता: ते नागरा: नगरवासिन: केवलं काय: एव कायमात्र: तेन कायमात्रेण शरीरमात्रेण न्यवर्तन्त। किन्तु मनसा हृदयेन नृपं राजानम् अन्वगु: अन्वगच्छन् / // 202 // सरलार्य :- एवं नलेन नपेण संबोधिता: ते नगरवासिनः केवलं शरीरमात्रेण न्यवर्तन्त / मनसा तु नृपम् अन्वगच्छन् / / / 202 / / ની ગુજરાતી :- એવી રીતે રાજાએ સમજાવેલા તે લોકો, કેવળ (પોતાનાં) શરીરથી જ પાછા વળ્યા, પરંતુ મન વડે તો તેઓ રાજાની साथे 265 // 202 // हिन्दी :- इस तरह राजा द्वारा समजाये हुए वह नगरवासी सिर्फ अपने शरीर से ही (देहसे) वापस गये किन्तु मन से वह राजा के पिछे गये (राजा के साथ गये) // 202 // 卐 मराठी :- अशा प्रकारे राजाने समजूत घातलेले ते नगरातील लोक फक्त आपल्या शरीराने परत गेले, परंतु मनाने ते राजाच्या मागे गेले. // 20 // PERFELESEENEFENEFLEELESENELIEVELF अमर
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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