SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 147
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ARMERSARANTERNATION श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् ShreseworsensussedusewaayaSINA ॐ सरलार्थ :- तस्मात्कारणात् हे भूप / त्वया अपि नलनृपात् भयं प्राप्नुवता अर्चनीयं प्रसादवितव्यं आराध्यं येन त्वम् अपि रक्ष्यसे // 132| છે ગજરાતી અર્થ:- માટે હે રાજન તારે પણ નલરાજાથી ડરીને તેની પૂજા કરવી, તેને ખુશ કરવા, તથા આરાધવાકે, જેથી તારું પણ રક્ષણ થઇ શકશે. 132aa हिन्दी.. इस लिए हे राजन्! आप को भी नलराजा से डर कर उसकी पूजा करनी चाहिए, उसे खुश करना चाहिए, और आराधना करनी चाहिए, कि जिस से आप का भी रक्षण हो सके // 132 // मराठी :- वासाठी हे राजा। तं पण नलराजाला घाबरून त्याची पूजा कर. त्याला खुश ठेव आणि त्याची आराधना कर. म्हणजे तो तुझे पण रक्षण करील. / / 132| English - So, the messenger tells the king that he should be frightened scaid of King Nal and worship him. keep him happy, so that he will stretch out his hand to protect him. तत: साटोपकोप: सन्, दूतमूचे कदम्बश॥ शेषराजपदे नीत:, किमरेऽहमपि त्वया // 133 // अन्वय:- तत: साटोपकोप: सन् कदम्बराद दूतम् ऊचे अरे! किं त्वया अहम् अपि शेषराजपदे नीतः॥१३॥ विवरणम् :- तत: तदनन्तरम् आटोपेन सह वर्ततेऽसौ साटोप:। साटोप: कोप: यस्य सः साटोपकोपः। साडम्बरक्रोध: सन् कदम्बराद दुतम् ऊचे अकथयत् अरे। किं त्वया अहम् अपि शेषाश्च तेराजानश्च शेषराजा:शेषराजानां पदं स्थानं शेषराजपदं तस्मिन् शेषराजपदे अवशिष्टनृपस्थाने नीतः। त्वं माम् अपि निर्बलं अमन्यथाः किम् // 13 // सरलार्य :- ततः साहम्बरकोपः सन् कदम्बराट् दतम् अवादीत् अरे / किं त्वया अहम् अपि शेषराजपदे नीतः शेषराजवत् निर्बलतां प्रापितः // 13 // Returnseerosse sses 123 warsawerssagrosswaravdhusavazstatusesi P.P.AC. Gunratnasuri M.S.
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy