________________ फल तथा फलों से पल्लवित हुआ उद्यान / धीमी तथापि तेज चाल से सभी के तन तथा मन को खुश करनेवाली नदी। इधर देखो वह झवेरी बझार, सुवर्ण बझार जिसमें लाखों करोड़ो का व्यापार प्रतिदिन होता है। इस तरफ भी देखो वह धान्यमंडी, जिसमें सब प्रकार के धान्य के व्यापार से राज्य खजाना तर रहता है और इस तरफ भी देख लो उतंग ध्वजाओं से देव विमान की प्रतिस्पर्धा करनेवाला शान्तिनाथ प्रभु का, इस बाजू युगादि देवाधिदेव आदीश्वर परमात्मा का जिन मंदिर, सामने दिखाई देनेवाला अष्टापद तीर्थ का मंदिर तथा इस तरफ भी नजर घुमा लो वह सामने जैन उपाश्रय जिसमें प्रतिदिन मुनिराजो का गमनागमन होता ही रहता है / दमयंतीने चारों तरफ दृष्टि फिराई और अपने भाग्य की सराहना करती हुई वोली, 'स्वामिनाथ ! ' मेरा जीवन धन्य बना, शरीर तथा आँखें पवित्र बनी, मनमयूर नाच उठा तथा रोम रोम में आनन्द की सीमा न रही / आप जैसे को पति बनाकर मेरी -आत्मा, मन तथा बुद्धि भी धन्य बनने पाई है / आपके साथ वीत्त-. राग परमात्माओं के मंदिर में जाने का अवसर तथा परमपवित्र मुनिराज तथा साध्वीजी म. को वन्दन करने का लाभ मिला। इतना कहकर मस्तक झुकाया और 'नमो जिणाणं' कहकर द्रव्य तथा भाव वन्दन किया। - दाम्पत्य जीवन कोशला नगरी के नागरिकों ने निषधराज नल तथा दमयंती आदि का भव्य स्वागत किया तथा नगरप्रवेश करवाया। पांच पांच भवों का रागसंबंध इस छठे भव' में सीमातीत बढा फलस्वरुप नल काम पुरुषार्थ का सेवन करते थे, तथापि दोनों को इस बात का पूर्ण ख्याल था कि, अर्थ तथा काम अपने पूर्वोपार्जित पुण्य के कारण चाहे जितने वृद्धिंगत हुए हो तो भी उसका आखिरी परिणाम दुर्गतिदायक P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust