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________________ 6) उसी वृद्ध पर पहले से बैठा हुआ एक पक्षी जमिन पर गिर पड़ा। इस प्रकार अपनी पुत्री दमयंती के स्वप्न की बात सुनकर हर्षित हुए भीमराजा ने कहा, 'बेटी !' आज का स्वप्न तेरे वास्ते अत्यंत शोभनीय और तत्काल फलदायी बननेवाला है ? स्वप्न में श्रृंगारसज्जित निवृत्ति (निव्वान) देवी को देखने से मालूम होता है कि, तुम्हारे पर चिरकाल से आया हुआ पापों का भारा समाप्त हुआ और पुण्योदय की राशि उदय में आने की तैयारी में है। कौशलदेश के बगीचे को देखने से उस देश का राज्य पुनः तुम्हारे हस्तगत होगा। आम्रवृक्ष पर आरूढ होने के कारण तम्हारे पति नलराजा का संगम शीघ्र ही होगा / पुष्प को सुंघने से तुम्हारा यश पुनः स्थापित होगा। तथा जो पक्षी डाल से गिरा, उससे मालूम होता है कि, कूबरराजा का पतन हाथवेंत में है / 'पुत्रि !' प्रातःकाल होने पर जो स्वप्न देखा जाता है, उसका फल चंद समय में ही मिलता है, अतः आज ही तुम्हारे पति से तुम्हारा मिलन होगा, क्योंकि अष्टांग निमित्तों मे स्वप्न शास्त्र भी सबल शास्त्र है। / उसी समय द्वारपाल ने राजदरबार में आकर भीमराज को दधिपर्ण राजा के आगमन की बात कही प्रसन्नचित्त भीमराजा भी स्वागातार्थ सामने गये और नगर प्रवेश करवाया, कुशल समाचार के आदानप्रदान के बाद भीमराज बोले कि, मुझे दमयंती के पुनः स्वयंवर की योजना निरुपाय करनी पड़ी है, एतदर्थ आपके पधारने पर मुझे आनन्द हुआ है परंतु स्वयवर में अभी 6-7 घंटे का समय है, उसमें यदि भोजन पानी हो जाय तो अच्छा रहेगा, क्योंकि भरे हुए पेट में सब दिशाएँ हरी-भरी दिखती है, मेरी इच्छा बढ़िया से बढिया रसवती के द्वारा आपको प्रसन्न करने की होने से सूर्यपाक रसोई बनवाने की इच्छा है, और उसमें आपका रसोईया होशियार है / दघिपर्ण राजा ये कुब्ज 126 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036461
Book TitleNal Damayanti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnanandvijay
PublisherPurnanandvijay
Publication Year1990
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size90 MB
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