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________________ यह कुब्ज कहां ? आकाश और पाताल का अन्तर साफ-साफ दिख रहा है, अतः दमयंती को इसमें नल की भ्रान्ति होना सर्वथा वृथा है। फिर भी एकवार और परीक्षा करने के इरादे से उस दूत ने पुनःपुन: निम्न लिखीत उच्चारण किया। वह इस प्रकार - (1) निर्दय, निर्लज्ज,सत्वरहित तथा दुर्जनों की धुरा को वहन करनेवाले उस नलराजा को धिवकार है, धिक्कार है, जिसने सती शिरोमणी दमयंती जैसी धर्मपत्नी का त्याग किया / (2) एकाकिनी, भोलीभाली, पवित्र हृदयवाली तथा पति के प्रति पूर्ण विश्वासु और भरनिद्रा में सोई हुई उस सती को छोड़ने का उत्साह नल को कैसे हुआ ? इसीसे विदित होता है कि, इस संसार में नल सा मूर्ख दूसरा कौन ? वारंवार उच्चारित इन शब्दों को सुनकर अपनी पत्नी की स्मृति होने पर कुब्ज रोने लगा, खूब रोया / तब ब्राह्मण दूत ने पूछा कि, 'कुब्ज !' तुम क्यों रो रहे हो ? कुब्ज ने कहा तुम्हारे करूणापूर्ण वचनों को सुनकर मुझे रोना आ गया है। वह नलराजा कौन है ? तव दूत ने जुगार से लेकर नल की कथा सुनाई / विशेष में कहा कि, सुसुमारपुर नगर के दधिपर्ण राजा के दूत ने भीमराजा से कहा कि, हमारे यहां हुंडक नाम का कुब्ज आया है, जिसने हाथी को आंखों की पलक में वश किया और सूर्यपाक रसोई भी आसानी से बना सकता है। तब दमयंतीने अपने पिता भीमराज से कहा, 'पूज्यपिताजी !' निश्चित ही वह नल होना चाहिए, आप उनकी तपास करवाने हेत किसी चालाक से चालाक आदमी को वहां पर भेजियेगा। तब राजाजी ने मुझे आज्ञा दी और आया, परंतु तुम्हें देखकर मेरा सब गुड़ गोबर हो गया है, क्योंकि देवस्वरुप नल कहां ? और आदर्शनीय आकृतिवाले तुन कहां ? यद्यपि वहां से निकलने पर शकुन भी अच्छे हुए थे, तो क्या मेरी नजर में या शकुन शास्त्र में कुछ भूल हुई है, परमात्मा जाने क्या तथ्य है ? हताश हुए दूत की बाते सुनकर तथा दमयंती की स्मृति 120 P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036461
Book TitleNal Damayanti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnanandvijay
PublisherPurnanandvijay
Publication Year1990
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size90 MB
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